दारुल उलूम का फतवा, बैंक में जमा रकम पर मिले ब्याज से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद में हर्ज नहीं
By भाषा | Updated: May 5, 2020 18:16 IST2020-05-05T18:16:10+5:302020-05-05T18:16:10+5:30
दारुल उलूम की खंडपीठ के वरिष्ठ मुफ्ती, मुफ्ती हबीबुर्रहमान आजमी और मुफ्ती महमूद बुलंदशहरी की खंडपीठ ने जारी फतवा संख्या-एन-546 में कहा कि बैंक में जमा रकम के नाम पर जो सूद दिया जाता है, वह शरीयत की नज़र में हराम व नाजायज है।

दारुल उलूम के मुताबिक इस रकम से जरूरतमंद लोगों को राशन आदि खरीदकर देने में शरियत के लिहाज से कोई हर्ज नहीं है। (file photo)
सहारनपुरः सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित दारुल उलूम ने एक फतवा जारी कर कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों द्वारा बैंक में जमा रकम पर मिले ब्याज से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है।
दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि संस्था से कर्नाटक के एक शख्स, मोहम्मद ओसामा ने सवाल पूछा था कि उनकी मस्जिद के बैंक खाते में जमा रकम पर ब्याज की काफी रकम बनती है, मौजूदा हालात में क्या ब्याज की रकम से क्या जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि दारुल उलूम ने इस पर अपने फतवे में कहा है कि बैंक में जमा रकम पर ब्याज के नाम पर जो राशि मिलती है वह शरीयत की नजर में नाजायज है। संस्था के मुताबिक, “ब्याज की इस रकम का व्यक्तिगत रूप में या मस्जिद के लिये इस्तेमाल करना दुरुस्त नहीं है लेकिन बिना सवाब की नीयत से मुश्किल वक्त में इस रकम का इस्तेमाल गरीबों व जरूरतमंदों के लिये किया जा सकता है।” दारुल उलूम के मुताबिक इस रकम से जरूरतमंद लोगों को राशन आदि खरीदकर देने में शरियत के लिहाज से कोई हर्ज नहीं है। इससे जरूरतमंद की मदद हो जाएगी।
जायज है रोजे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की जांच :दारुल उलूम
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम ने रमजान के महीने में रोजे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की जांच कराने को जायज बताया है। इस रमजान में हालात पुरी तरह बदले हुए हैं और लोग अपने घरों में ही नमाज अदा कर रहे हैं। मुस्लिम समाज में रोजे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की जांच को लेकर शंकाएं हैं और इन शंकाओं को दूर करते हुए दारुल उलूम ने एक फतवा जारी कर जांच को जायज बताया और स्पष्ट किया कि इस जांच से रोजा नहीं टूटेगा।
दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी मुशर्रफ उस्मानी ने बताया कि बिजनौर के एक व्यक्ति ने दारूल उलूम के इफता विभाग से सवाल किया था कि क्या रोजे की स्थिति में कोरोना वायरस की जांच कराई जा सकती हैं । उन्होंने बताया कि इस सम्बध में चार सदस्यीय समिति ने फतवा संख्या एन 549 के माध्यम से सोमवार को अपने जबाव में बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिये नाक और मुहं में रुई लगी स्टिक डाली जाती है जिस पर कोई दवा या कैमिकल नहीं लगा होता, इसलिये इस जांच से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ता।
रोजे की हालत में कोरोना वायरस जांच के लिये नाक और हलक का गीला अंश देना जायज है। उस्मानी ने बताया कि दारूल उलूम रमजान से पहले ही लोगों से घरों में रहकर रमजान की सारी इबादत करने की अपील कर चुका है। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा ,‘‘ सारी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है ऐसे समय में मुसलमानों को ज्यादा सब्र के साथ काम करने की आवश्यकता है।’’