नई दिल्लीः देश भर में कोरोना का कहर बढ़ रहा है। दिल्ली में लगातार मामले बढ़ रहा है। आज तो राजधानी में सारे रिकॉर्ड ब्रेक हो गया। दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा 1,877 कोरोना वायरस के मामले आए हैं। कुल मामले 34,000 के पार है और मृतकों की संख्या एक हजार से ज्यादा हो गई है।
राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद शाह बुखारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 मामलों में वृद्धि के चलते दिल्ली शहर में उत्पन्न ‘‘गंभीर’’ स्थिति के मद्देनजर जामा मस्जिद तत्काल प्रभाव से 30 जून तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे अद्यतन किये गए आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कोविड-19 के मामले बढ़कर 34,000 के पार हो गए जबकि मृतक संख्या बढ़कर 1000 से ज्यादा हो गई।
दिल्ली में कोरोना वायरस के बृहस्पतिवार को एक दिन में रिकॉर्ड सबसे ज्यादा 1,877 नए मरीज सामने आए। राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमितों की संख्या अब 34,000 से अधिक हो गई है। वहीं मृतकों का आंकड़ा भी एक हजार से अधिक हो गया है। यह पहली बार है कि जब दिल्ली में कोरोना वायरस के 1800 से ज्यादा मामले एक दिन में आए हैं।
इससे पहले तीन जून को सबसे ज्यादा 1513 मामले सामने आए थे। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने बृहस्पतिवार को एक बुलेटिन में बताया कि कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 1,085 हो गई है। वहीं जानलेवा संक्रमण के 34,687 मामले हो गए हैं। बुलेटिन में बताया गया है कि 10 जून को 101 लोगों की मौत का ऐलान किया गया।
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 3,607 नए मरीजों का पता चलने के बाद बृहस्पतिवार को कोविड-19 के कुल मामले बढ़कर 97,648 हो गए। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि महामारी से 152 लोगों की मौत हो गई है जिसके बाद राज्य में कोविड-19 के कारण दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या 3,590 हो गई है।
वहीं 1,561 मरीजों को इलाज के बाद स्वास्थ्य लाभ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। इसी के साथ संक्रमण से ठीक होने वाले रोगियों का आकंड़ा 44,078 हो गया है। राज्य में बीमारी का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 47,968 है। राज्य में अबतक 6,09,317 नमूनों की जांच की गई है।
राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण से बृहस्पतिवार को छह और लोगों की मौत हो गयी जिससे राज्य में मृतकों की संख्या 265 हो गई है। इसके साथ ही 239 नये मामले सामने सामने आए जिससे राज्य में इस घातक वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या 11,838 हो गयी। इनमें से 2798 मरीजों का इलाज चल रहा हैं।
दिल्ली में जामा मस्जिद को 30 जून तक के लिए बंद किया गया: शाही इमाम
बुखारी ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय लोगों और इस्लामी विद्वानों से सलाह मशविरा करने के बाद किया है। यह कदम शाही इमाम के सचिव अमानुल्ला की मंगलवार रात को सफदरजंग अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण मौत होने के बाद उठाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब मानव जीवन खतरे में हो तब लोगों के जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर लोगों की राय है कि मानव जीवन बचाना सर्वोपरि है और शरीयत में इसके लिए विशेष उल्लेख है।’’
बुखारी ने कहा कि जनता की राय लेने और विद्वानों से मशविरा करने के बाद यह निर्णय किया गया है कि बृहस्पतिवार मग़रिब (शाम) से 30 जून तक जामा मस्जिद में कोई सामूहिक नमाज नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चुनिंदा लोग प्रतिदिन पांच समय नमाज अदा करेंगे जबकि आम नमाजी अपने घर पर ही नमाज अदा करेंगे।’’
सरकार के ‘अनलॉक-1’ के तहत रियायतें दिए जाने के साथ ही दो महीने से अधिक समय बाद आठ जून को जामा मस्जिद को खोला गया था। देश भर में आठ जून को शॉपिंग मॉल और कार्यालय समेत कई अन्य प्रतिष्ठानों के साथ धार्मिक स्थल खोलने पर बुखारी ने कोरोना वायरस के तेजी से प्रसार के मद्देनजर सरकारों से अपने फैसले पर पुन: विचार करने के लिए कहा है। नवीनतम आधिकारिक आंकडों के अनुसार दिल्ली में कोरोना वायरस के कुल मामले 32 हजार से अधिक हैं जिसमें 984 मौत शामिल है। शहर में ऐसे मरीजों की संख्या 19 हजार से अधिक है जिनका इलाज चल रहा है।
देश में कोरोना वायरस संकट के बाद बढ़ सकती है बाल श्रमिकों की संख्या : क्राई
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट के बाद घरों से चल रहे कामकाजों, कृषि और जोखिम भरे पेशों में बाल श्रम में बढ़ोतरी हो सकती है। गैर सरकारी संगठन क्राई ने कहा कि परिवार में उपजी आर्थिक तंगी की भरपाई करने के लिए बच्चों को अकुशल श्रम में धकेले जाने की आशंका है। ऐसी आशंका है कि जिन घरों में भी पैसे को लेकर परेशानियां होंगी, वहां बच्चे पढ़ाई के बदले अपने घर की मदद करने के लिए काम को चुन सकते हैं।
इसके लिए क्राई ने इंटरनेट के माध्यम से ई-परामर्श किया जिसका मकसद यह रेखांकित करना था कि कोविड-19 महामारी का असर भारत में बाल और किशोर श्रम की स्थिति पर किस तरह से पड़ेगा। इस विषय पर विचार-विमर्श किया गया कि हाल में कुछ राज्यों में श्रम कानूनों में रियायत का असर किशोर श्रम पर किस तरह से पड़ेगा। इसके साथ ही इस पर भी बातचीत हुई कि कैसे साथ मिलकर नागरिक संस्थाएं और राज्य बाल श्रम के अभिशाप के खिलाफ लड़ सकते हैं।
विशेषज्ञों के पैनल की अध्यक्षता बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो कर रहे थे। इसमें टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के श्रम अध्ययन केंद्र के सहायक प्रोफेसर राहुल सप्कल, अनुसंधान, बजट और शासन जवाबदेही केंद्र की अतिरिक्त समन्वयक प्रोतिवा कुंडू समेत अन्य लोग शामिल थे। कानूनगो ने कहा कि बाल श्रम की समस्या को दूर करने के लिए मौजूदा कानूनों का इस्तेमाल प्रभावी तरीके से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक इस संबंध में जितनी प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं, उसे देश में बाल श्रमिकों की संख्या को देखते हुए मिलाया जाय तो वह बेहद कम है।
इसलिए यह सभी की जिम्मेदारी है कि वह बाल श्रमिक के बारे में बताएं और प्राथमिकी दर्ज कराएं। गैर सरकारी संगठन ने बाल श्रम कानून को कड़ाई से लागू करने की सिफारिश की है। संगठन ने कहा कि सरकार को सामाजिक दूरी और अन्य नियमों का ध्यान रखेत हुए कक्षाओं की भरपाई करने के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिए।
इनपुट भाषा