नागरिकों को सम्मान के साथ अंतिम क्रिया का अधिकार सुनिश्चित करे सर्वोच्च न्यायालय: अश्वनी कुमार
By शीलेष शर्मा | Published: June 11, 2020 05:05 PM2020-06-11T17:05:24+5:302020-06-11T17:05:24+5:30
पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायधीशों को पत्र लिख कर इस मानवीय और संवेदन शील मुद्दे पर आदेश देने तथा दिशा निर्देश ज़ारी करने की मांग की है।
नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप ने कॅरोना के शिकार लोगों से सम्मान से मरने और उनकी अंतिम क्रिया का वह अधिकार भी छीन लिया है जो संविधान ने देश के हर नागरिक को दिया है।
हाल ही में घटी कुछ घटनाओं ने संवेदनशील लोगों को हिला कर रख दिया है। पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायधीशों को पत्र लिख कर इस मानवीय और संवेदन शील मुद्दे पर आदेश देने तथा दिशा निर्देश ज़ारी करने की मांग की है।
अश्वनी कुमार ने सर्वोच्च अदालत को लिखे पत्र में नागरिक अधिकारों को लेकर देश की विभिन्न अदालतों और सर्वोच्च न्यायालय के नज़रिये के अनेक उदाहरण पेश किये हैं। पत्र के साथ वह चित्र भी संलग्न किया है जिसमें मध्य प्रदेश के एक अस्पताल में एक वृद्ध को पलंग से बाँधा हुआ है, उसी तरह पुड्डुचेरी में कोरोना से हुयी मौत के बाद किस तरह शव को गड्डे में फेंका जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने उस दृश्य का भी उल्लेख किया है की शव की अंतिम क्रिया के लिये जो तय प्रक्रिया है की अनदेखी कर शवों के हॉस्पिटल या शवग्रहों में ढेर लग रहे हैं क्योंकि अंतिम क्रिया के लिये पर्याप्त स्थान नहीं हैं ,विद्द्युत शव दाह गृह काम नहीं कर रहे हैं ,नतीज़ा नागरिक अधिकारों की धज्जियाँ उड़ रही हैं। उन्होंने न्यायालय को याद दिलाया कि उसके पास इस बात का पूरा अधिकार है कि वह नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये आदेश जारी करे।