पैरोल-फर्लो पर निकले कैदी व्हाट्सअप कॉल और गूगल लाइव लोकेशन के जरिए लगाएंगे हाजिरी, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश
By निखिल वर्मा | Published: April 23, 2020 01:50 PM2020-04-23T13:50:19+5:302020-04-23T13:50:34+5:30
दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के बीच कैदियों की निगरानी के लिए व्हाट्सऐप और गूगल मैप्स का सहारा लेने का फैसला किया है.
कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच दिल्ली सहित अन्य राज्यों में जेल में बंद कैदियों को अस्थायी तौर पर पैरोल या फर्लो पर रिहा किया गया है। दिल्ली में भी करीब 3000 कैदियों को रिहा किया गया है। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने रिहा किए गए कैदियों की हाजिरी के लिए अनोखा तरीका पेश किया है। कोर्ट ने कैदियों को हाजिरी लगाने के लिए अपने जांच अधिकारी (आईओ) के पास व्हाट्सअप वीडियो कॉल या गूगल मैप के जरिए लोकेशन भेजने को कहा है।
हिन्दु्स्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, आम तौर पर पैरोल-फर्लों पर निकले कैदियों को स्थानीय पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी हाजिरी लगानी होती है। हालांकि लॉकडाउन के शर्तों के बीच कोर्ट कैदियों को वीडियो कॉल और गूगल लोकेशन के जरिए अपनी हाजिरी लगाने की छूट दी है। 20 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि कैदी गूगल मैप पर 'ड्रॉप-ए-पिन' कर सकते हैं ताकि आईओ / एसएचओ को अपनी उपस्थिति और रहने की जगह की पुष्टि कर सकें। अदालत ने यह भी कहा कि कैदी कोर्ट की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ सकते।
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप जयराम भंबानी की बेंच दो मामलों की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किया है। पहले मामले में 73 वर्षीय रिटायर्ड टीचर को नाबालिग से यौन शोषण के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई है। टीचर ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था। अपनी दलील में उसने कहा कि वह उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज करवा रहा है। हालांकि सरकारी वकील ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें जघन्य अपराध के लिए 10 साल की सजा सुनाई गई है और इसलिए कोई जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति भंबानी ने दलीलें सुनने के बाद कहा, “सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की अभूतपूर्व परिस्थितियों में आज और जेलों में बंद सभी कैदियों को मेडिकल सेफ्टी की जरूरत है। इसलिए अदालत अपील करने वाले को सजा से अस्थायी तौर पर तीन महीने की छूट दे रही है।
इसी तरह एक अन्य केस में एक कैदी को रिहा किया गया है। कैदी ओमपाल ने एटीएम में पैसे भरने वाली गाड़ी के ड्राइवर के तौर पर साथियों को नशीला पदार्थ खिलाकर 51 लाख रुपए लूटे। कोर्ट ने उसे आठ साल की सजा सुनाई है। ओमपाल ने कोर्ट में दलील दी है कि उसके सजा में अंतरिम राहत प्रदान की जाए। ओमपाल ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसके तीन बच्चे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने की वजह से उसकी पत्नी को सैलरी नहीं मिल रही है। कोर्ट ने ओमपाल को 50 हजार निजी बांड पर जमानत दी है।