कोरोना संकट: 30 फीसदी वेतन कम लेंगे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसद, सांसद निधि का भी होगा इस्तेमाल
By भाषा | Published: April 7, 2020 05:29 AM2020-04-07T05:29:55+5:302020-04-07T05:29:55+5:30
सरकार ने सोमवार को निर्णय किया कि सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30 फीसदी की कटौती होगी और सांसद निधि भी दो साल के लिए निलंबित की जाएगी तथा इस राशि का इस्तेमाल कोरोना संकट से निपटने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रियों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती होगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान की खुद पेशकश की जिसके बाद यह निर्णय हुआ। जावड़ेकर ने यह जानकारी भी दी कि राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, और कई राज्यों के राज्यपालों ने भी अपने वेतन में कटौती का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को निर्णय किया कि सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30 फीसदी की कटौती होगी और सांसद निधि भी दो साल के लिए निलंबित की जाएगी तथा इस राशि का इस्तेमाल कोरोना संकट से निपटने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रियों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती होगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान की खुद पेशकश की जिसके बाद यह निर्णय हुआ। जावड़ेकर ने यह जानकारी भी दी कि राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, और कई राज्यों के राज्यपालों ने भी अपने वेतन में कटौती का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने बताया कि सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के संदर्भ में अध्यादेश को मंजूरी दी गयी।
जावड़ेकर ने कहा कि यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू होगी। मंत्री के मुताबिक सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ा कानून है, इसलिए अध्यादेश का निर्णय हुआ और संसद के आगामी सत्र के दौरान कानून में संशोधन वाले इस अध्यादेश पर संसद की मंजूरी ली जाएगी। मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई। जावड़ेकर ने कहा, '' कैबिनेट ने देश भर में कोविड-19 के प्रभाव को कम करने और स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 2020-21 और 2021-22 के दौरान सांसद निधि के अस्थायी निलंबन को मंजूरी दी।'' उन्होंने कहा कि सांसद निधि के दो साल की कुल राशि करीब 7900 करोड़ रुपये हुई जिसे सरकार के ''कौंसलिडेटेड फंड'' में डाला जाएगा।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्ष दलों के कई नेताओं ने सांसद निधि के निलंबन के फैसले पर सवाल करते हुए इसे फिर से बहाल करने की मांग की है। दरअसल, हर संसद सदस्य को सांसद निधि के रूप में हर साल पांच करोड़ रुपये की राशि मिलती है जो वह अपने क्षेत्र अथवा संबंधित राज्य में विकास कार्यों में खर्च कर सकता है। जावड़ेकर ने बताया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई राज्यों के राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से वेतन में 30 फीसदी में कटौती के लिए पत्र लिखा है। मंत्री ने कहा, ''कल्याकारी कार्यो की शुरुआत अपने घर से होती है। सभी ने इसी भावना से निर्णय लिया है।'' उन्होंने कहा कि वेतन में कटौती और सांसद निधि के निलंबन के रूप लिए गए दोनों निर्णय कोरोना के खिलाफ केंद्र एवं राज्य सरकारों की लड़ाई को नयी दिशा देने वाले और महत्वपूर्ण साबित होंगे।