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Congress Working Committee: राहुल गांधी ने कहा, ‘खड़गे जी, चाबुक चलाइए?’, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा में बुरी हार?, सख्त एक्शन लीजिए, जानें 10 मुख्य बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 30, 2024 10:20 IST

Congress Working Committee: जाति जनगणना, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर भी जोर दिया।

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ठळक मुद्देचुनावी प्रक्रिया से ‘‘हो रहे गंभीर समझौते’’ से जुड़ी चिंता को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाया जाएगा।चुनावी प्रदर्शन और संगठन के मामलों पर विचार के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने का फैसला भी किया है।राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पार्टी के कई अन्य नेता शामिल हुए।

Congress Working Committee: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में हार को लेकर दो-टूक कहा कि अब जवाबदेही तय की जाएगी तथा कठोर निर्णय लिए जाएंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है और ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना निर्वाचन आयोग का संवैधानिक दायित्व है। कार्य समिति ने यह फैसला किया कि चुनावी प्रक्रिया से ‘‘हो रहे गंभीर समझौते’’ से जुड़ी चिंता को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाया जाएगा।

पार्टी का यह भी कहना है कि वह इस मुद्दे पर ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों को भी साथ लेगी। पार्टी ने चुनावी प्रदर्शन और संगठन के मामलों पर विचार के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने का फैसला भी किया है। खड़गे की अध्यक्षता में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन, संभल हिंसा की पृष्ठभूमि में उपासना स्थल कानून, मणिपुर हिंसा और कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पार्टी के कई अन्य नेता शामिल हुए।

नेताओं को अनुशासन का सख्ती से पालन करना चाहिए

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में हालिया चुनावी नतीजों, ईवीएम और मत पत्रों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। करीब साढ़े चार घंटे तक चली मैराथन बैठक में 81 नेताओं ने हिस्सा लिया। सूत्रों ने बताया कि जब चुनावों को लेकर जवाबदेही तय करने की बात हो रही थी तो राहुल गांधी ने कहा, ‘‘खड़गे जी, चाबुक चलाइए।’’

कार्य समिति की बैठक में दिए अपने अपने संबोधन में खड़गे ने कहा कि पार्टी नेताओं को अनुशासन का सख्ती से पालन करना चाहिए और पार्टी को पुराने ढर्रे की राजनीति से हर बार सफलता नहीं मिल सकती। कांग्रेस और उसके सहयोगियों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इससे पहले उसे हरियाणा में भी आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा था।

अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे

खड़गे ने कार्य समिति की बैठक में कहा, ‘‘हमें तुरंत चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। ये नतीजे हमारे लिए संदेश हैं।’’ उन्होंने कई प्रदेशों में पार्टी के भीतर गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है।’’ खड़गे ने कहा, ‘‘जब तक हम एक होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जरूरी है कि हम सख्ती से अनुशासन का पालन करें। हर हालत में एकजुट रहना है। पार्टी के पास अनुशासन का भी हथियार है। लेकिन हम नहीं चाहते कि अपने साथियों को किसी बंधन में डालें।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सबको ये सोचने की दरकार है कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हम सबकी जीत है और हार में हम सबकी हार है।

कार्यकर्ता और ‘सिस्टम’ मुस्तैदी से काम करें

पार्टी की ताकत से ही हमारी ताकत है।’’ खड़गे ने कहा, ‘‘चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था। लेकिन केवल माहौल पक्ष में होने भर से जीत की गारंटी नहीं मिल जाती। हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा। क्या कारण है कि हम माहौल का फायदा नहीं उठा पाते?’’ उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘‘हमें पर्याप्त मेहनत करने के साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनानी होगी।

हमें अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करना होगा। हमें मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात-दिन सजग, सचेत और सावधान रहना होगा। हमारी तैयारी आरंभ से मतगणना तक ऐसी होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और ‘सिस्टम’ मुस्तैदी से काम करें।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई राज्यों में पार्टी का संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है।’’ उन्होंने यह भी पूछा कि राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे? कार्य समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी नतीजों का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘ पूरी चुनावी प्रक्रिया की शुचिता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है।

ध्रुवीकरण अभियान को पूरी तरह से खारिज कर दिया

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है।’’ कार्य समिति ने कहा, ‘‘समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।’’

प्रस्ताव के अनुसार, झारखंड की जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

कार्य समिति ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में हमारा अपना प्रदर्शन बेहतर होना चाहिए था। हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।’’ प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कांग्रेस कार्यसमिति यह भी स्वीकार करती है कि हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन सभी उम्मीदों के विपरीत रहा है।

निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं

कांग्रेस को राज्य में भारी अंतर से सरकार बनानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’ कार्य समिति ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन और हमारे एमवीए सहयोगियों का प्रदर्शन समझ से परे है और वास्तव में चौंकाने वाला भी है। चुनावी नतीजे सामान्य समझ से परे हैं।

यह स्पष्ट रूप से लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है।’’ प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कांग्रेस कार्यसमिति आशा और विश्वास व्यक्त करती है कि कांग्रेस अध्यक्ष जल्द ही विस्तृत राज्यवार समीक्षा पूरी करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे, खासकर संगठनात्मक मामलों के संबंध में। इन मामलों पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्तर पर और सभी राज्यों में तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।’’

कार्य समिति ने कहा, ‘‘निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है। पहले से कहीं अधिक एकता और अनुशासन की आवश्यकता है।’’ उसने पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर भी जोर दिया।

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