अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए कांग्रेस एक नई रणनीति पर काम करने की योजना बना रही है। चूंकि कांग्रेस सीधे तौर पर पीएम मोदी को घेरने के चक्कर में कई बार चुनावी पराजय का सामना कर चुकी है। इसलिए आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनैतिक हमला नहीं करेगी।
कांग्रेस इस चुनाव में पीएम मोदी की कार्यशैली को मुद्दा न बनाकर सत्तारूढ़ राज्य भाजपा के खिलाफ गुजरात के मतदाताओं के बीच प्रचार करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री पद के चेहरे को खड़ा किये सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ जूझने का फैसला किया है।
साल 2022 के अंत तक गुजरात में 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं। बीते 24 साल से गुजरात में कमल के निशान को बुलंद किये भाजपा के सामने सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए भारी चुनौती पेश आने की उम्मीद है।
गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के नेतृत्व में बनी कमेटी इस सप्ताह की शुरुआत में गुजरात कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की और पार्टी की रणनीति को रूपरेखा देने के लिए काफी गहन चर्चा की। इस बैठक में प्रियंका गांधी के अलावा वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल थे।
वहीं बैठक में गुजरात कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रभारी रघु शर्मा, पार्टी की राज्य प्रमुख जगदीश ठाकोर, विपक्ष के नेता सुखराम राठवा, गुजरात कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया और अमित चावड़ा और प्रवक्ता मनीष दोशी ने अपनी बातों को रखा।
बैठक के बाद गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "दिल्ली में गुजरात कांग्रेस के नेताओं के साथ हुए बैठक में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के बारे में विस्तृत रणनीति तैयार की गई है।"
कांग्रेस के अनुसार चूंकि गुजरात विधानसभा चुनाव केंद्र सरकार बनाने या प्रधानमंत्री चुनने के लिए नहीं हैं, इसलिए इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों और उनकी बातों पर कांग्रेस सवाल नहीं खड़ा करेगी। ये विधानसभा चुनाव हैं, लिहाजा कांग्रेस की सीधा लड़ाई भाजपा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ लड़ी जाएगी।
वैसे हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी भाजपा पीएम मोदी को उस तुरुप के इक्के के तौर पर इस्तेमाल करेगी, जिनके नाम पर वो वोट बटोर सके क्योंकि सच्चाई तो यही है कि वो 2014 से गुजरात के बाहर होते हुए भी आज के वक्त में भी गुजरात भाजपा के सर्वोच्च नेता है। इसलिए प्रदेश भाजपा इस चुनाव को मोदी बनाम कांग्रेस में बदलने की कोशिश करेंगे। लेकिन कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के कुशासन को जनता के बीच ले जाएगी और उनके खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ेगी।
मालूम हो कि साल 2007 के गुजरात चुनावों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2002 के गोधरा दंगे के लिए कथित तौर पर "मौत का सौदागर" तक कह दिया था, लेकिन उसके वाबजूद कांग्रेस को गुजरात चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस बेहद सतर्कता से कदम आगे ले जा रही है। वो इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को ज्यादा तरजीह देगी। इसके पीछे कांग्रेस का मानना है कि भाजपा ने जो बी वादा किया था, वो उसे निभाने में फेल हो गये हैं। प्रदेश की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार और कोविड जैसी महामारी में राज्य सरकार जिस तरह से फेल हुई है, कांग्रेस उसे बी विरोध का आधार बनाते हुए जनता से वोट मांगेगी।
भाजपा का कब्जा गुजरात पर साल 1998 से है, जबकि कांग्रेस साल 1995 से लगातार गुजरात में हारती चली आ रही है। साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस की झेली में 77 सीटें आईं थीं, जबकि भाजपा ने 99 सींटों पर जीत दर्ज की थी।