नई दिल्लीः कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है। कथित तौर पर शेरगिल पिछले कुछ महीनों से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति नहीं दी गई थी। शेरगिल ने आरोप लगाया कि चाटुकारिता देश की सबसे पुरानी पार्टी को दीमक की तरह चाट रही है।
अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के कई नेता गुजरात में भी इस्तीफा दे चुके हैं।
कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में कहा कि कांग्रेस में लिये जाने वाले फैसले जनहित और देशहित के लिये नहीं होते, बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिये होते हैं। त्यागपत्र में उन्होंने प्रवक्ता पद छोड़ने का उल्लेख किया है, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रवक्ता पद और प्राथमिक सदस्यता दोनों छोड़ दी हैं।
उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस से अपने रिश्ते पूरी तरह से खत्म कर दिए हैं। पार्टी छोड़ने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी में ऐसे लोगों द्वारा फैसले किए जा रहे हैं जो चाटुकारिता में व्यस्त हैं और जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोगों की सेवा करने में सक्षम हैं उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है।’’ शेरगिल ने दावा किया, ‘‘चाटुकारिता पार्टी को दीमक की तरह चाट रही है।’’ भविष्य के कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में भविष्य में ही पता चलेगा।
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील शेरगिल उस समय चर्चा में थे, जब उन्होंने मामलों का सामना कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए 24×7 कानूनी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया था। टीवी पर अक्सर दिखे जाते रहे हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देने के बाद जयवीर शेरगिल ने कहा कि कांग्रेस के जो निर्णय लिए जाते हैं उसमें आपकी काबिलियत, जनता की आवाज़, युवाओं की अपेक्षाओं को नजरअंदाज करके सिर्फ कुछ लोग जो चुनाव भी हार चुके हैं, केवल उनकी ताजपोशी हो रही है।
जयवीर शेरगिल ने कहा कि आज मैंने इस्तीफा दो कारणों से दिया है। आज कांग्रेस पार्टी के निर्णय जनहित में नहीं कुछ लोगों के हित में निर्णय लिए जा रहे हैं। वास्तविकता से मुंह मोड़ा जा रहा है, जनता के मुद्दों से मुंह मोड़ा जा रहा है।