कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर हिंसा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपा, कही ऐसी बात
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 30, 2023 12:41 PM2023-05-30T12:41:46+5:302023-05-30T12:43:21+5:30
कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि हमारे लोगों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि सत्तारूढ़ शासन मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाएगा।
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार, 30 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिला। इस प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की। प्रतिनिधिमंडल की ओर से एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को सौंपा गया है।
कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि हमारे लोगों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि सत्तारूढ़ शासन मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाएगा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 22 साल पहले भी मणिपुर जल रहा था। तब प्रधानमंत्री अटल जी थे। आज फिर से मणिपुर जल रहा है, अब पीएम नरेंद्र मोदी हैं। इसका कारण BJP की विभाजनकारी व ध्रुवीकरण की राजनीति है। मणिपुर जल रहा था लेकिन पीएम और गृहमंत्री कर्नाटक चुनाव में व्यस्त थे।
22 साल पहले भी मणिपुर जल रहा था। तब प्रधानमंत्री अटल जी थे।
— Congress (@INCIndia) May 30, 2023
आज फिर से मणिपुर जल रहा है, अब PM नरेंद्र मोदी हैं। इसका कारण BJP की विभाजनकारी व ध्रुवीकरण की राजनीति है।
मणिपुर जल रहा था लेकिन PM और गृहमंत्री कर्नाटक चुनाव में व्यस्त थे।
: @Jairam_Ramesh जी pic.twitter.com/8S9BsLuEL6
कांग्रेस ने मणिपुर में हाल की हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए रविवार को कहा था कि वहां एक भयावह त्रासदी सामने आ रही है, जबकि प्रधानमंत्री अपने ‘खुद के राज्याभिषेक' को लेकर अभिभूत हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि अमित शाह मणिपुर दौरे पर गए हैं तो उम्मीद है कि वह राज्य के कांग्रेस नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
बता दें कि मणिपुर में मैतेई समुदाय द्वारा की जा रही अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को कहा था कि सुरक्षा बलों ने राज्य में शांति कायम करने के लिए अभियान शुरू करने के बाद से घरों में आगजनी और लोगों पर गोलीबारी करने में शामिल लगभग 40 सशस्त्र उग्रवादियों को मार गिराया है।
फिलहाल राज्य में शांति बनाने के लिए सेना और असम राइफल्स मैदान में हैं। मंगलवार, 30 मई को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भी मणिपुर हिंसा पर बात की और कहा कि मणिपुर में हो रही हिंसा का आंतकवादियों से कोई लेना देना नहीं है। सीडीएस जनरल चौहान ने कहा, "वह मुख्य रूप से दो जातियों के बीच की लड़ाई है। हम राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं। हमने बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है। हालांकि, मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं और इसमें कुछ समय लगेगा।"