कांग्रेस, बीजद और तृणमूल सांसदों ने निजी डेटा सुरक्षा विधेयक संबंधी समिति को असहमति नोट सौंपा

By भाषा | Published: November 22, 2021 05:19 PM2021-11-22T17:19:19+5:302021-11-22T17:19:19+5:30

Congress, BJD and Trinamool MPs submit dissent note to committee on Personal Data Protection Bill | कांग्रेस, बीजद और तृणमूल सांसदों ने निजी डेटा सुरक्षा विधेयक संबंधी समिति को असहमति नोट सौंपा

कांग्रेस, बीजद और तृणमूल सांसदों ने निजी डेटा सुरक्षा विधेयक संबंधी समिति को असहमति नोट सौंपा

नयी दिल्ली, 22 नवंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और बीजू जनता दल (बीजद) एवं तृणमूल कांग्रेस सांसदों ने निजी डेटा सुरक्षा विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति की ओर से रिपोर्ट को अंगीकार किए जाने के बाद सोमवार को अपनी ओर से असहमति का नोट दिया।

रमेश ने कहा कि उन्हें असहमति का यह विस्तृत नोट देना पड़ा क्योंकि उनके सुझावों को स्वीकार नहीं किया गया और वह समिति के सदस्यों को मना नहीं सके। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन और महुआ मोइत्रा ने भी असहमति का नोट सौंपा।

कांग्रेस के अन्य सदस्यों, मनीष तिवारी, गौरव गोगोई और विवेका तन्खा तथा बीजद सांसद अमर पटनायक ने भी असहमति का नोट दिया।

निजी डेटा सुरक्षा विधेयक- 2019 को संसद की संयुक्त समिति के पास इसकी छानबीन के लिए भेजा गया था।

इस समिति की रिपोर्ट में विलंब हुआ क्योंकि इसकी पूर्व अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। बाद में भाजपा सांसद पीपी चौधरी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने चौधरी की अध्यक्षता में पिछले चार महीनों में हुए समिति के कामकाज की सराहना की।

उन्होंने इस प्रस्तावित कानून को लेकर अपनी असहमति जताते हुए कहा, ‘‘आखिरकार, यह हो गया। संसद की संयुक्त समिति ने निजी डेटा सुरक्षा विधेयक-2019 पर अपनी रिपोर्ट को अंगीकार कर लिया। असहमति के नोट दिए गए हैं, लेकिन ये संसदीय लोकतंत्र की भावना के अनुरूप हैं। दुखद है कि मोदी सरकार के तहत इस तरह के कुछ ही उदाहरण हैं।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके सुझावों को स्वीकार नहीं किया गया और वह सदस्यों को अपनी बात नहीं मनवा सके, जिस कारण उन्हें असहमति का नोट देने के लिए विवश होना पड़ा।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘लेकिन यह इस बात के आड़े नहीं आना चाहिए कि समिति ने लोकतांत्रिक ढंग से काम किया है।’’

समिति में शामिल तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी असहमति का नोट सौंपा और कहा कि यह विधेयक स्वभाव से ही नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने समिति के कामकाज को लेकर भी सवाल किया।

सूत्रों के मुताबिक, ओब्रायन और महुआ ने असहमति के नोट में आरोप लगाया कि यह समिति अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो गई और संबंधित पक्षों को विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त समय एवं अवसर नहीं दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के दौरान समिति की कई बैठकें हुईं जिनमें दिल्ली से बाहर होने के कारण कई सदस्यों के लिए शामिल होना बहुत मुश्किल था।

सूत्रों के अनुसार, इन सांसदों ने विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि इसमें निजता के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उचित उपाय नहीं किए गए हैं।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रमेश ने असहमति के नोट में यह भी सुझाव दिया कि विधेयक की सबसे महत्वपूर्ण धारा 35 तथा धारा 12 में संशोधन किया जाए।

उन्होंने कहा कि धारा 35 केंद्र सरकार को बेहिसाब ताकत देती है कि वह किसी भी सरकारी एजेंसी को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रख दे।

रमेश ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में निजी क्षेत्र की कंपनियों को नयी डेटा सुरक्षा व्यवस्था के दायरे में आने के लिए दो साल का समय देने का सुझाव दिया है, जबकि सरकारों या उनकी एजेंसियों के लिए ऐसा नहीं किया गया है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने समिति के प्रमुख पीपी चौधरी का धन्यवाद किया और कहा कि वह इस प्रस्तावित कानून के बुनियादी स्वरूप से असहमत हैं और ऐसे में उन्होंने असहमति का विस्तृत नोट सौंपा है।

उन्होंने यह दावा भी किया कि यह प्रस्तावित अधिनियम, कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएगा।

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Web Title: Congress, BJD and Trinamool MPs submit dissent note to committee on Personal Data Protection Bill

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