मोदी बतायें कि डोनाल्ड ट्रंप से उन्होंने क्या बातचीत की, कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को बताया अति गंभीर
By शीलेष शर्मा | Published: July 24, 2019 07:02 AM2019-07-24T07:02:53+5:302019-07-24T07:02:53+5:30
राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया और लिखा ‘‘राष्ट्रपति ट्रम्प कहते है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने को कहा था, अगर यह सही है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों के साथ विश्वासघात किया है.''
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस खुलासे के बाद की प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता करने की बात कही थी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के खंडन करने के बावजूद कांग्रेस इस बात पर अड़ गई है कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आकर यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हुई चर्चा का खुलासा नहीं करते कांग्रेस अपने कदम पीछे नहीं खीचेगी. कांग्रेस ने 23 जुलाई को संसद के दोनों सदनों में अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर भारी हंगामा किया. नारेबाजी के बीच पीठासीन अधिकारी द्वारा तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस के सांसद मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं थे.
कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया और लिखा ‘‘राष्ट्रपति ट्रम्प कहते है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने को कहा था, अगर यह सही है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों के साथ विश्वासघात किया है. 1972 में हुए शिमला समझौते के साथ धोखा किया है एक कमजोर विदेश मंत्री के खंडन करने से यह मामला शांत नहीं होता प्रधानमंत्री खुद देश को बतायें कि ट्रम्प के साथ बातचीत में क्या कुछ हुआ था.’’
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ ट्रम्प ने मुलाकात के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठा था जिस पर ट्रम्प ने कहा कि वे मध्यस्थता करने के लिए तैयार है, उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने भी उन्हें मध्यस्थता करने को कहा था. हालांकि आज विदेश मंत्री एस. जयशंक़र ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसले पर कोई तीसरी शक्ति स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह द्विपक्षीय मामला है. ट्रम्प ने जो कुछ कहा है वह बिल्कुल गलत है. उन्होंने यह भी साफ किया कि पाकिस्तान से तभी बात हो सकती है जब वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्यवाही करे.
सरकार की ओर से लगातार आ रही सफाई के बावजूद कांग्रेस उसे स्वीकार्य करने को तैयार नहीं है क्योंकि यह एक गंभीर मुद्दा है और जब तक प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर स्थिति स्पष्ट नहीं करते तब तक इस मुद्दे को नहीं छोड़ा जा सकता.
राज्यसभा में विपक्ष की नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है, सरकार का यह कहना कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एक स्वर में बोले यह तभी संभव है जब प्रधानमंत्री सदन को सच्चाई बताए. उन्होंने यह तर्क भी दिया कि जब शर्मल शेख में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जो बयान जारी किया तो विपक्ष में रहते हुए भाजपा कितनी आक्रामक थी और आज कांग्रेस से एक स्वर में बोलने की बात कर रही है.
कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने भी आज सदन में प्रधानमंत्री से बयान देने की मांग की. दिलचस्प नजारा तो उस समय देखने को मिला जब सोनिया गांधी ने पार्टी के सांसद मनीष तिवारी जो इस मुद्दे पर बोल रहे थे को पहले से तैयार एक नोट थमा दिया. शून्यकाल में जब मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला तब सोनिया गांधी ने कुछ कागज एक प्लास्टिक के फोल्डर में तिवारी की ओर बढ़ा दिया. सूत्र बताते है कि यह काग़ज कुछ ओर नहीं ट्रम्प का वह बयान था जो उन्होंने इमरान से बातचीत करने के बाद दिया था. मनीष तिवारी ने तत्काल उसे उठाया और सरकार पर अपने हमले को तेज कर दिया. इस मांग के साथ कि स्वयं प्रधानमंत्री इस पर सफाई दें.
कांग्रेस के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस, सपा तथा अन्य दलों ने इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस समूचे विपक्ष को विश्वास में लेकर इस बात पर अड़ गई है कि जब तक प्रधानमंत्री खुद सदन में आकर जवाब नहीं देते तब तक यह हंगामा शांत नहीं होगा क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी संसदीय परंपराओं को तोड़कर विदेश यात्राओं का कोई ब्यौरा सदन में नहीं देते है.