बंगलुरु, 15 मईः कांग्रेस के आलाकमान पर लगातार सुस्ती के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस सारी धारणाएं तोड़ देना चाहती है। जिस तरह से गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बाद भी कांग्रेस सरकार बनाने से चूक गई थी, उससे बचने के लिए कर्नाटक चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने दो दिग्गज गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को कर्नाटक भेज दिया है।
मंगलवार सुबह कर्नाटक पहुंचते ही ये दोनों दिग्गज कांग्रेसी नेता देवगौड़ा से मुलाकात कर रहे हैं। यानी कि चुनाव नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) में बातचीत का दौर शुरू हो चुका है। (जरूर पढ़ेंः Karnataka Result 2018 LIVE: कुछ ही देर में मतगणना शुरू, 11 हजार पुलिस बल तैनात, 1 RAF और 20 KCRP कंपनियाँ तैनात)
जैसा कि एग्जिट पोल से साफ हुआ था कि प्रदेश में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों को सरकार बनाने के लिए जेडीएस के साथ की जरूरत होगी। इसी बाबत कांग्रेस ने पहला पाशा फेंक दिया है।
हालांकि साल 2004 के अनुभवों को देखते हुए कांग्रेस जेडीएस के साथ जाएगी। तब कांग्रेस ने जेडीएस के साथ सरकार बनाई थी। लेकिन जेडीएस ने दो साल के भीतर कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी।