जमानत याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध बंदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: October 2, 2021 21:56 IST2021-10-02T21:56:36+5:302021-10-02T21:56:36+5:30

Complete ban on bail pleas infringes on the personal liberty of the prisoner: Supreme Court | जमानत याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध बंदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है : उच्चतम न्यायालय

जमानत याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध बंदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जमानत याचिकाओं या सजा निलंबन से संबंधित याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध बंदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इसने कहा कि इस तरह के आदेश देकर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ‘‘खुद को आवंटित न्यायिक कार्य से परे’’ चले गए।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक दुर्लभ मामले में की जहां राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने ही न्यायाधीश के दो आदेशों के खिलाफ शीर्ष अदालत से संपर्क किया है।

इनमें से एक आदेश पिछले साल 31 मार्च को पारित किया गया जिसमें रजिस्ट्री को जमानत याचिकाओं, अपील, सजा निलंब के आवेदन और अत्यावश्यक मामलों की श्रेणी में समीक्षा संबंधी याचिकाओं को तब तक सूचीबद्ध न करने को कहा गया था जब तक कि केंद्र कोविड माहामारी की वजह से लगाए गए राष्ट्रव्यापी पूर्ण लॉकडाउन को नहीं हटाता।

उसी न्यायाधीश ने 17 मई 2021 को एक अन्य आदेश में पुलिस को निर्देश दिया था कि वह तीन साल तक की कैद की सजा वाले अपराधों में 17 जुलाई तक आरोपियों की गिरफ्तारी न करे।

उच्च न्यायालय ने अपने न्यायाधीश के इन दोनों आदेशों के खिलाफ शीर्ष अदालत से संपर्क किया।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘‘हमारे मत में, 31 मार्च 2020 और 17 मई 2021 के आदेशों ने उस अदालत के न्यायाधीशों को आवंटित कार्य के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों का अतिक्रमण किया है।’’

पीठ ने हाल में अपने फैसले में कहा कि दोनों उक्त आदेशों से संबंधित न्यायाधीश ने जमानत याचिकाओं, अपील, सजा निलंब के आवेदनों को सूचीबद्ध किए जाने पर पूर्ण रोक लगाकर ‘‘खुद को आवंटित न्यायिक कार्य से परे’’ जाने का काम किया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमानत याचिकाओं या सजा निलंबन से संबंधित याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध बंदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने पैरवी की।

शीर्ष अदालत ने संबंधित न्यायाधीश के दोनों आदेशों पर तीन अप्रैल 2020 और 25 मई 2021 को रोक लगा दी थी।

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Web Title: Complete ban on bail pleas infringes on the personal liberty of the prisoner: Supreme Court

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