भीमा-कोरेगांव मामलाः शिकायतकर्ता ने इस वजह से खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
By भाषा | Published: September 5, 2018 04:21 AM2018-09-05T04:21:17+5:302018-09-05T04:21:17+5:30
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह छह सितंबर को याचिका पर सुनवाई करेगी। उसी दिन थापर और चार अन्य की याचिका पर सुनवाई होनी है।
नई दिल्ली, 05 सितंबरः भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले पुणे के एक व्यक्ति ने इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य द्वारा दायर याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग को लेकर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसी व्यक्ति की शिकायत पर पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह छह सितंबर को याचिका पर सुनवाई करेगी। उसी दिन थापर और चार अन्य की याचिका पर सुनवाई होनी है।
तुषार दमगुडे द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि लंबित मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए क्योंकि भीमा-कोरेगांव में पिछले साल हुई हिंसा के सिलसिले में उन्होंने ही प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले आदेश दिया था कि पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक उनके घर में ही नजरबंद रखा जाएगा। न्यायालय ने असहमति को लोकतंत्र का ‘सेफ्टी वाल्व’ बताया था।
वरवर राव, अरूण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को राहत देते हुए शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं थापर और चार अन्य के अधिकार क्षेत्र पर महाराष्ट्र सरकार की आपत्ति को दरकिनार कर दिया था। इन कार्यकर्ताओं की तरफ से थापर और अन्य के राहत मांगने पर महाराष्ट्र सरकार ने आपत्ति जताते हुए उन्हें ‘अजनबी’ बताया था।
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एलगार परिषद कार्यक्रम के बाद भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के सिलसिले में इन पांचों नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया।