आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रूप से जुड़ें : अनुप्रिया पटेल
By भाषा | Updated: November 15, 2021 17:35 IST2021-11-15T17:35:34+5:302021-11-15T17:35:34+5:30

आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रूप से जुड़ें : अनुप्रिया पटेल
लखनऊ, 15 नवंबर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सोमवार को कहा कि भारत के आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रूप से जुड़ें, ऐसा भाव हर हृदय में उत्पन्न होना चाहिये।
जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती पर यहां भागीदारी भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा, ''भगवान बिरसा मुंडा समाज के लिए जीवन जिए, उन्होंने अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए जीवन का परित्याग कर दिया, इसलिए, आज भी वह हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में विद्यमान हैं।''
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री जी की उस सोच और भाव को प्रणाम करती हूं जिसमें उन्होंने जंगलों में रहने वाले जनजातीय समुदाय के आजादी पाने के लिये अंग्रेजों के साथ किये गए संघर्ष को 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला कर एक नयी पहचान दी।”
उन्होंने कहा, “इस दिवस के माध्यम से जनजातीय समुदाय को उनकी खोई हुई पहचान मिलेगी जिसके वो लंबे समय से हकदार थे और हमारे जनजातीय समुदाय ने जिस प्रकार भारत की जमीन, जंगल, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी है उसके बारे में आने वाली पीढ़ी को अवश्य जानना चाहिए।”
मिर्जापुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र जिले में जहां पर बड़ी संख्या में गोंड पनिका, खरवार आदि जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं, वहां जनजातीय संग्रहालय के निर्माण की जो घोषणा सरकार ने की है उसके लिये धन्यवाद। उन्होंने कहा कि जनजातीय वनवासियों के कल्याण के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास जैसे तमाम विषयों को ध्यान में रखकर भारत सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है।
पटेल ने कहा कि जनजातीय समुदाय शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, और आज आवश्यकता है कि हम उन्हें अपने प्रयासों से समाज की प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा करें।
राज्य मंत्री ने बताया, “बिरसा मुंडा के मन में श्रद्धा भाव था और उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी, लगान माफी के लिए संघर्ष किया और सशस्त्र क्रांति की। उनकी केवल 25 वर्ष की आयु में अंग्रेजों ने हत्या कर दी थी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।