प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने भाषण में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद बनाए जाने की घोषणा की थी। इस पर अमली जामा पहनाया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। यह कमेटी ही सीडीएस के पद की शक्तियों और सीमाओं को तय करेगी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस कमेटी को 6 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस कमेटी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अतिरिक्त कैबिनेट सेक्रेटरी, डिफेंस सेक्रेटरी और सेक्रेटरी और एक्सपेंडिचर और सीओएससी भी शामिल हैं। कैबिनेट के फैसले को लागू करने का पत्र पहले ही एनएसए और कमेटी के अन्य सदस्यों को जारी किया जा चुका है। गौरतलब है कि अजीत डोभाल आज रूस से लौट रहे हैं और इसके बाद वो फ्रांस दौरे पर गए पीएम मोदी के पास जाएंगे।
सीडीएस की शक्तियों के बारे में मोदी सरकार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इससे तीनों सेवाओं के ज्यादा एकीकरण को बल मिलेगा। यह रक्षामंत्री को सीधे रिपोर्ट करेगा। इसके अलावा तमाम रणनीतियों को तीनों सेना के साथ सामंजस्य बिठाकर लागू करेगा।
इस विषय पर पूर्व नौसेनाध्यक्ष और चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के पूर्व अध्यक्ष एडमिरल (सेवानिवृत्त) सुनील लांबा ने कहा था कि यह महान कदम है जो काफी समय से लंबित था। लांबा ने कहा, “चीफ्स ऑफ स्टाफ के स्थायी अध्यक्ष के लिये जिन चीजों पर काम हो चुका है, अगर वही भूमिका और जिम्मेदारी सीडीएस को दी गईं, (तब) ज्यादा बृहद स्तर पर (रक्षा) बजट के नियोजन और प्रबंधन में एकीकरण हो सकेगा।”
एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) मनमोहन बहादुर ने कहा था कि अभी इस बात के लिये इंतजार करना चाहिए कि सरकार सीडीएस के गठन की प्रक्रिया की योजना को कैसे आगे लेकर जाती है। बहादुर ने कहा, “अभी विवरण आना बाकी है क्योंकि इससे ही सीडीएस, तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा सचिव की जिम्मेदारी तय होगी। अभी यह जानना बाकी है कि क्या वह तीनों सेनाओं का संचालनीय प्रमुख भी होगा या नहीं...। इन अहम जानकारियों का अभी इंतजार है।”
समाचार एजेंसी-पीटीआई भाषा से इनपुट्स लेकर