निर्वाचन आयोग के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Published: May 6, 2021 09:24 PM2021-05-06T21:24:37+5:302021-05-06T21:24:37+5:30

Comments of Madras High Court against Election Commission not part of judicial record: Supreme Court | निर्वाचन आयोग के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं : उच्चतम न्यायालय

निर्वाचन आयोग के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, छह मई उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 के मामले बढ़ने के लिए निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराने वाली मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां ‘‘आधिकारिक न्यायिक रिकॉर्ड’’ का हिस्सा नहीं है इसलिए इसे हटाने का सवाल ही नहीं उठता।

इसके साथ ही, न्यायालय ने मीडिया को न्यायिक कार्यवाही के दौरान टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकने का अनुरोध भी ठुकराते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में न्यायिक संस्थाओं की कार्यवाही की रिपोर्टिंग भी शामिल है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने हालांकि माना कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियां ‘‘कठोर’’ थी लेकिन उन्हें हटाने से इनकार करते हुए कहा कि यह न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं इसलिए इसे हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

पीठ ने 31 पन्ने के अपने फैसले में कहा कि मीडिया को अदालत की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने का अधिकार है। पीठ ने कहा, ‘‘बिना सोचे-समझे की गई टिप्पणियों की गलत व्याख्या किए जाने की आशंका होती है।’’

शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के दौरान सराहनीय काम करने के लिए उच्च न्यायालयों की प्रशंसा की और कहा कि वे महामारी प्रबंधन पर प्रभावी रूप से नजर रख रहे हैं।

पीठ के लिए फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया को सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोका नहीं जा सकता।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालयों को टिप्पणियां करने और मीडिया को टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकना प्रतिगामी कदम होगा।’’

पीठ ने कहा कि अदालतों को मीडिया की बदलती प्रौद्योगिकी को लेकर सजग रहना होगा। उसने कहा कि यह अच्छी बात नहीं है कि उसे न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘यह न्यायालय मीडिया की स्वतंत्रता के मुखर समर्थक के रूप में अदालत की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के पक्ष में खड़ा है। हमारा मानना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है।’’

मीडिया के अधिकार का हवाला देते हुए फैसले में कहा गया कि नागरिकों को मीडिया के जरिए यह जानने का अधिकार है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की अभिव्यक्ति भी संविधान के अनुच्छेद 19 में समाहित है।

फैसले में कहा गया कि भारतीय विधि प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि अदालतों तक खुली पहुंच मूल्यवान संवैधानिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और खुली अदालतों के विचार के लिए जरूरी है कि कार्यवाही से संबंधित सूचनाएं जनता को मिलनी चाहिए।

फैसले में निर्वाचन आयोग के स्वतंत्र संवैधानिक संस्था बने रहने के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ के लिए सराहना की गयी जिसके कंधे पर चुनावी लोकतंत्र की शुचिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है।

यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणी के खिलाफ निर्वाचन आयोग की एक अपील पर आया है।

फैसले में कहा गया कि शीर्ष अदालत के पास दो स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाओं मद्रास उच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग के अधिकारों में संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है।

उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए 26 अप्रैल को चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए उसे इस संक्रामक रोग के फैलने के लिए जिम्मेदार बताया था और उसे ‘‘सबसे गैरजिम्मेदार संस्था’’ बताया और यहां तक कि यह भी कहा था कि उसके अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाना चाहिए।

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Web Title: Comments of Madras High Court against Election Commission not part of judicial record: Supreme Court

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