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ठंड में डटे हैं किसान, कहा- लंबे संघर्ष के लिए तैयार, समूह में शामिल होकर गाने गाते हैं और ड्रम बजाते हैं

By भाषा | Updated: December 2, 2020 21:26 IST

सड़कों के किनारे खाना पकाते हैं। प्रदर्शन पर पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को पूरा खाना दिया जाता है जिसमें दाल, चावल, पराठा और खीर आदि जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।

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ठळक मुद्देजब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे वहां से हटेंगे नहीं।पंजाब और हरियाणा से पहुंचे ये किसान पेट्रोल पंपों पर स्नान के साथ दिन की शुरुआत करते हैं।

नई दिल्लीः अपने घरों से दूर, सर्दियों से बेपरवाह दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि वे लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं और जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे वहां से हटेंगे नहीं।

पंजाब और हरियाणा से पहुंचे ये किसान पेट्रोल पंपों पर स्नान के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। वे वहीं अपने कपड़े भी धोते हैं । बदले में वे पेट्रोल पंपों पर साफ-सफाई कर देते हैं।

फिर वे सड़कों के किनारे खाना पकाते हैं। प्रदर्शन पर पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को पूरा खाना दिया जाता है जिसमें दाल, चावल, पराठा और खीर आदि जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।

चाय की सतत आपूर्ति प्रदर्शनकारियों को ठंड का मुकाबला करने में मदद करती है। शाम के वक्त वे अपना जोश बनाये रखने के लिए समूह में जमा होते, गाने गाते हैं और ड्रम बजाते हैं।

प्रदर्शनकारी सोनू कुमार ने कहा, ‘‘ हम यहां मंगलवार को आये और हम तबतक यहां रहेंगे जबतक हमारी मांगें केंद्र सरकार स्वीकार नही कर लेती। महीनों तक यहां टिके रहने के लिए हमारे पास पर्याप्त राशन है। ’’

उसने कहा, ‘‘ हर आदमी अपना खाना खुद ही बना रहा है और दूसरों को बांट रहा है। हम पंजाबी हैं और हमें पता है कि मुश्किल घड़ी में कैसे खुश रहना है। हमें स्थानीय लोगों से भी मदद मिल रही है। वे हमें पानी और अन्य जरूरी चीजें दे रहे हैं।’’

प्रदर्शनकारी हर सुबह लंगर की तैयारी शुरू करते हैं और दिनभर खाना वितरित किया जाता है ।

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘ दाल, परांठे, चावल और खीर समेत अलग अलग व्यंजन बनाये जा रहे हैं। लोगों को चाय दी जा रही है।’’

सिंघू बोर्डर पर खुले आसमान या ट्रैक्टरों के नीचे सो रहे इन प्रदर्शनकारियों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाये गये हैं।

डॉ. विमल शर्मा ने कहा, ‘‘चूंकि वे बहुत चलकर आ रहे हैं, इसलिए उनके पैरों में घाव है। कई को गैस्ट्रिक है। जोड़ों में दर्द तो आम है। ट्रैक्टरों के बाहर सो रहे लोग ज्वर या ठंड की शिकायत कर रहे हैं।’’

चंडीगढ़ के डॉ. सुखविंदर सिंह बरार ने कहा, ‘‘ प्रदर्शनकारियों की अलग अलग परेशानियां हैं। ज्यादातर को अधिक उम्र के चलते जोड़ों में दर्द है।’’

बुधवार को दिल्ली में प्रदर्शनकारियों की संख्या और बढ़ गयी। हजारों पदर्शनकारियों द्वारा सातवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी की सीमाएं अवरूद्ध करने के बाद पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है । यात्रियों को बहुत मुश्किलें हो रही हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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