हत्यारे ने नाबालिग बच्ची से रेप के बाद भाई के साथ हत्या की, दोषी को 20 सितंबर को फांसी होनी थी, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगायी
By भाषा | Published: September 17, 2019 04:21 PM2019-09-17T16:21:23+5:302019-09-17T16:22:12+5:30
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये मनोहरन की मौत की सजा के अमल पर रोक लगायी।
उच्चतम न्यायलाय ने मंगलवार को कोयम्बटूर दोहरे हत्याकांड के दोषी की मौत की सजा के अमल पर रोक लगा दी। बलात्कार और दोहरे हत्याकांड के इस अपराधी को सुनाये गये मृत्यु दंड की उच्चतम न्यायालय ने भी पिछले महीने पुष्टि कर दी थी और 20 सितंबर को उसकी मौत की सजा पर अमल होना था।
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये मनोहरन की मौत की सजा के अमल पर रोक लगायी।
मनोहरन की वकील ने दलील दी कि वह इस मामले में बहस करने से पहले निचली अदालत में रखे इस मुकदमे के रिकार्ड का निरीक्षण करना चाहती हैं। पीठ ने दोषी की वकील को अंतिम अवसर देते हुये स्पष्ट किया कि उन्हें इस मामले में 16 अक्टूबर को बहस करनी होगी क्योंकि यह मौत की सजा से संबंधित मामला है।
दोषी की वकील ने न्यायालय से कहा कि इस मामले में सात वकील बदले गये जिसकी वजह से निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक दोषी का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। शीर्ष अदालत ने पिछले महीने ही एक के मुकाबले दो के बहुमत से मनोहरन की मौत की सजा की पुष्टि की थी।
मनोहरन को एक नाबालिग बच्ची का बलात्कार करने और उसके व उसके छोटे भाई की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनायी गयी है।