कोबरापोस्ट का दावाः बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा समेत 21 दलों के 194 नेताओं ने चुनाव आयोग को दिया गलत PAN, 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम शामिल
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 5, 2018 12:49 AM2018-10-05T00:49:24+5:302018-10-05T04:55:03+5:30
cobrapost के अनुसार चुनाव आयोग को गलत PAN देने वाले नेताओं में 6 पूर्व मुख्यमंत्री, 10 पूर्व कैबिनेट मंत्री, 8 पूर्व मंत्री, 54 मौजूदा विधायक, 102 पूर्व विधायक, 1 पूर्व डिप्टी स्पीकर, 1 पूर्व स्पीकर, 1 पूर्व सांसद, 1 उपमुख्यमंत्री शामिल है।
नई दिल्ली, 5 अक्टूबरः चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय चुनाव आयोग समय-समय पर नए क़दम उठाता रहता है लेकिन देश के घाघ नेता हर उपाय की काट निकाल लेते हैं। इलेक्शन कमीशन का नियम है कि अपने आय-व्यय और परिसंपत्ति के विवरण के साथ दर्ज आपराधिक मामलों का विवरण भी शपथपत्र के रूप में दर्ज कराया जाए। लेकिन कोबरा पोस्ट ने अपने एक सनसनीखेज खुलासे में दावा किया है कि देश के 194 नेताओं ने चुनाव आयोग को चुनाव लड़ने के लिए दी गई जानकारी में गलत परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) दिया है।
कोबरापोस्ट (cobrapost) ने दावा किया है कि कांग्रेस, बीजेपी, सपा, बसपा और जेडीयू समेत 21 राजनीतिक दलों के 194 नेताओं ने दो अलग-अलग चुनाव में पैन की अलग-अलग जानकारी दी। इन नेताओं में 6 पूर्व मुख्यमंत्री, 10 पूर्व कैबिनेट मंत्री, 8 पूर्व मंत्री, 54 मौजूदा विधायक, 102 पूर्व विधायक, 1 पूर्व डिप्टी स्पीकर, 1 पूर्व स्पीकर, 1 पूर्व सांसद, 1 उपमुख्यमंत्री शामिल है।
पड़ताल में पैन की गलत जानकारी देने वाले नेताओं में बीजेपी के 41 नेता, कांग्रेस के 72 नेता, समाजवादी पार्टी के 12 नेता, बीएसपी के 8 नेता, जेडीयू के 6 नेता शामिल हैं।
हालाँकि कोबरापोस्ट ने कहा है कि वो ये दावा नहीं करता कि इन नेताओं ने जानबूझकर गलत पैन दिया। यह एक मानवीय भूल भी हो सकती है लेकिन ये यकीन करना मुश्किल है कि इतने सारे नेताओं से मानवीय भूल हुई होगी।
भारत का आयकर विभाग हर कर दाता का एक यूनिक PAN जारी करता है। PAN का मक़सद टैक्स चोरी रोकने और कालेधन पर लगाम लगाना है। इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार एक निश्चित राशि के ऊपर की खरीदारी या वित्तीय लेन-देन के लिए हर किसी को अपना PAN देना जरूरी होता है।
परमानेंट अकाउंट नंबर या स्थायी खाता संख्या (PAN) धारक के तमाम आय, व्यय और संपत्ति आदि की खरीद बिक्री के ब्योरे जुड़े रहते हैं या जुड़े रहने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी जांच या मिलान हो सके। आय छिपाना और बेनामी संपत्ति को रोकने के लिए PAN जरूरी है।
भारतीय चुनाव आयोग विधान सभा और लोक सभा में सभी उम्मीदवारों से उनकी संपत्ति और देनदारियों के ब्योरे समेत उनका PAN भी माँगता है ताकि चुनाव में धनबल और कालेधन के दुरुपयोग को रोका जा सके।
कोबरापोस्ट के स्टिंग में शामिल बड़े नाम
कोबरा पोस्ट की इस पड़ताल में जो बड़े नाम सामने आ रहे हैं वो हैं असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और भूमिधर बरमान, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल शामिल हैं।
कोबरापोस्ट ने 23 राज्यों के नेताओं द्वारा दाखिल 2000 हलफनामों का विश्लेषण किया है। विश्लेषण में सामने आया कि 2006 और 2016 के बीच इन नेताओं ने चुनाव आयोग से अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया। इनमें से 194 PAN गलत हैं। कोबरापोस्ट संवाद्दाता कुलदीप शुक्ला ने इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट से सैकड़ो हलफनामों को खंगालकर यह रिपोर्ट तैयार की है।
चुनाव आयोग नहीं करता PAN की पुष्टि?
कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि चुनाव आयोग विभिन्न चुनावों के प्रत्याशियों द्वारा अपने हलफ़नामे के साथ दिए जाने वाले PAN की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता।
कोबरापोस्ट के अनुसार ज़्यादातर मामलों में नेताओं ने दो अलग-अलग PAN दिए हैं या फिर फर्जी PAN दिया है यानी ऐसा PAN जिसे इनकम टैक्स ने कभी जारी नहीं किया।
कोबरापोस्ट के स्टिंग पर अभी तक किसी भी बड़े राजनीतिक दल की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आयी है। जिन नेताओं पर कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया है उनमें से किसी राजनेता ने भी अभी तक इस पर सफाई नहीं दी है। चुनाव आयोग ने भी अभी तक कोबरापोस्ट के दावों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
लोकमत न्यूज़ ने स्वतंत्र रूप से कोबरापोस्ट के दावों की जाँच नहीं की है।
कोबरापोस्ट के पुराने दावे
कोबरापोस्ट इससे पहले भी कई सनसनीखेज स्टिंग ऑपरेशन कर चुका है। कोबरापोस्ट ने हाल ही में विभिन्न मीडिया संस्थानों में पेड न्यू़ज चलाए जाने का दावा करते हुए कई स्टिंग वीडियो जारी किये थे।
कुछ साल पहले कोबरापोस्ट ने विभिन्न सांसदों का स्टिंग करके दावा किया था कि भारतीय संसद में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु डील पर मतदान के लिए सांसदों को पैसे दिए गए थे।