लखनऊ: करहल में चुनावी प्रचार के लिए पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि जिन लोगों ने प्रोफेसर बघेल पर हमले जैसी कायराना हरकत को अंजाम दिया है। उन्हें इसका परिणाम भोगना पड़ेगा।
योगी ने कहा कि करहल की जनता प्रोफेसर बघेल के हमलावरों को कभी माफ नहीं करेगी।इस मौके पर समाजवादी पार्टी का नाम न लेते हुए उन्होंने यह भी कहा कि ये गर्मी 10 मार्च के बाद अपने आप शांत हो जाएगी।
यूपी के सीएम ने जनसभा में मौजूद जनता के बीच मुलायम सिंह के द्वारा करहल रैली में अखिलेश यादव के नाम भूल जाने पर व्यंग्य करते हुए कहा, 'बाप बेटे का नाम भूल गया, कैसी दुर्गति हो गई है।'
जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा, 'नेताजी (मुलायम सिंह यादव) बहुत होशियार हैं। वह जानते हैं कि करहल की जनता फैसला कर चुकी है कि प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ही उनके नेता हैं। इसलिए नेता जी ने कहा कि तुम लोग जो चाहो तय कर लो, अपना विधायक चुन लो।'
योगी आदित्यनाथ ने चुनावी जनसभा में कहा कि मैनपुरी में भारतीय जनता पार्टी चार की चार सीटों पर अपनी विजय पताका फहराने जा रही है। जिसे देखकर समाजवादी पार्टी के लोग बौखला गए हैं। योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा, प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल जी ने 'उनको' (अखिलेश यादव) पांचवें दिन ही यहां आने के लिए मजबूर कर दिया।
दरअसल बीते गुरुवार को करहल में सपा की रैली में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने भाषण के बीच में करहल से सपा की टिकट पर खड़े पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम ही भूल गये।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जनसभा में कहा कि यहा सो जो भी खड़ा हो, उसे जीताइये। इस बात पर उनकी बगल में खड़े भतीजे और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने उन्हें अखिलेश यादव का नाम लेकर जनता से वोट देने की अपील की।
इसके बाद मुलायम सिंह ने जनसभा में अखिलेश यादव का नाम लेते हुए उन्हें करहल से चुनाव में विजयी बनाने की अपील की। मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य इन दिनों बेहद खराब चल रहा है, इसके बावजूद सपा द्वारा अखिलेश यादव के पक्ष में करहल में चुनाव प्रचार के लिए उन्हें लाये जाने पर विपक्ष हमलावर है।
इस मामले में टिप्पणी करते हुए करहल से भाजपा प्रत्याशी प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कहा, 'सपा अध्यक्ष चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं तो वे अपने पिता को लेकर आए। इस बात से साफ पता चलता है कि अखिलेश यादव अपनी हार पहले से ही कबूल कर रहे हैं।'