'न्यायिक निर्णयों के माध्यम से कानून नहीं बना सकते, समलैंगिक विवाहों पर विधायी व्यवस्था बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है' - सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 24, 2023 06:58 PM2023-10-24T18:58:03+5:302023-10-24T18:59:24+5:30

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम का उल्लेख किया और कहा कि यह विभिन्न धर्मों से संबंधित विषमलैंगिकों के विवाह संबंधी मामलों से निपटने के लिए एक धर्मनिरपेक्ष कानून है और समलैंगिक विवाह की अनुमति न देने के लिए इसके कुछ प्रावधानों को बरकरार रखना उचित नहीं रहेगा।

CJI DY Chandrachud cannot make laws through judicial decisions same sex marriages jurisdiction of Parliament | 'न्यायिक निर्णयों के माध्यम से कानून नहीं बना सकते, समलैंगिक विवाहों पर विधायी व्यवस्था बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है' - सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (File photo)

Highlightsप्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) इस समय अमेरिका में हैं उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम का उल्लेख किया कहा - हम न्यायिक निर्णयों के माध्यम से कानून नहीं बना सकते

नयी दिल्ली: समलैंगिक विवाहों को अनुमति देने के मामले पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर कहा है कि हम न्यायिक निर्णयों के माध्यम से कानून नहीं बना सकते। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि समलैंगिक विवाहों को अनुमति देने के लिए पूरी तरह से एक "नयी विधायी व्यवस्था" बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सीजेआई ने कहा कि इसके लिए विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द करना "बीमारी से भी बदतर" नुस्खा प्रदान करने जैसा होगा। 

समलैंगिक विवाह संबंधी हाल के फैसले और भारतीय न्यायपालिका के अन्य प्रमुख पहलुओं पर न्यायमूर्ति चंद्रचचूड़ ने ये टिप्पणियां जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन और सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एसडीआर), नयी दिल्ली द्वारा आयोजित तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानूनी चर्चा में कीं। चर्चा का विषय 'भारत और अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य से' था।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम का उल्लेख किया और कहा कि यह विभिन्न धर्मों से संबंधित विषमलैंगिकों के विवाह संबंधी मामलों से निपटने के लिए एक धर्मनिरपेक्ष कानून है और समलैंगिक विवाह की अनुमति न देने के लिए इसके कुछ प्रावधानों को बरकरार रखना उचित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, ‘यह तर्क दिया गया था कि विशेष विवाह अधिनियम भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह केवल विषमलैंगिक जोड़ों पर लागू होता है। अब, यदि न्यायालय उस कानून को रद्द कर देता है, तो परिणाम वैसा होगा जैसा मैंने अपने फैसले कहा था, यह स्वतंत्रता से भी पहले की स्थिति में जाने जैसा होगा, जो यह थी कि विभिन्न धर्मों से संबंधित लोगों के विवाह के लिए कोई कानून नहीं था।’

सीजेआई ने सोमवार को कहा, "इसलिए कानून को रद्द करना...पर्याप्त नहीं होगा और यह एक ऐसा नुस्खा प्रदान करने जैसा होगा जो बीमारी से भी बदतर हो।" उन्होंने कहा कि मुख्य प्रश्नों में से एक यह है कि क्या अदालत के पास अनिवार्य रूप से इस क्षेत्र में आने और यह आदेश देने का अधिकार है कि भारतीय संविधान के तहत शादी करने का अधिकार प्राप्त है।

सीजेआई ने कहा, "पीठ के सभी पांच न्यायाधीशों के सर्वसम्मत फैसले से, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और समलैंगिक समुदाय के लोगों को हमारे समाज में समान भागीदार के रूप में मान्यता देने के मामले में हमने काफी प्रगति की है। लेकिन विवाह के अधिकार पर कानून बनाना संसद के अधिकारक्षेत्र में आता है, और हम न्यायिक निर्णयों के माध्यम से कानून नहीं बना सकते।"

17 अक्टूबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सीजेआई और अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के एसोसिएट जस्टिस स्टीफन ब्रेयर ने इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम का संचालन जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर के डीन एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष विलियम एम ट्रेनर ने किया। 

Web Title: CJI DY Chandrachud cannot make laws through judicial decisions same sex marriages jurisdiction of Parliament

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