कई वार्ता और बैठकों के बाद भी फिंगर एरिया खाली करने को तैयार नहीं है चीन, LAC पर अभी भी 40 हजार सैनिक मौजूद

By पल्लवी कुमारी | Updated: July 23, 2020 08:35 IST2020-07-23T08:35:42+5:302020-07-23T08:35:42+5:30

भारत और चीन की सेनाओं के बीच बीते आठ सप्ताह से पूर्वी लद्दाख में विभिन्न स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है। हालांकि, अब सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। यह गतिरोध 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद और बढ़ गया था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

China Unwilling to De-escalate, Still Has 40,000 Troops in Eastern Ladakh Sources | कई वार्ता और बैठकों के बाद भी फिंगर एरिया खाली करने को तैयार नहीं है चीन, LAC पर अभी भी 40 हजार सैनिक मौजूद

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsभारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद सरकार ने तीनों बलों (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) को हाई अलर्ट पर रखा है। सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि चीन फिंगर एरिया में ऑब्जर्वेशन पोस्ट बनाना चाहता हैसूत्रों ने यह भी दावा किया है कि चीन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है जिससे लगे कि वह सीमा पर तनाव कम करना चाहता है।

नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन अपनी पहली वाली स्थिति में लौटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है। एनडीटीवी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि चीन ने मई में वास्तविक नियंत्रण रेखा  (LAC)के पास लद्दाख में घुसपैठ करने वाले सभी क्षेत्रों से सैनिकों को वापस नहीं लिया है। । सरकार और सैन्य स्तरों पर कई दौर की बातचीत के दौरान शर्तों पर बनी सहमति के बावजूद चीनी सेना पीछे नहीं हट रहे हैं। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों से दोनों देशों के अपने सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने के लिये दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य बातचीत जारी है।

चीनी सीमा के दायरे में अब भी 40 हजार सैनिक मौजूद: सूत्रों का दावा

सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीनी सीमा के दायरे में इस वक्त तकरीबन 40 हजार की सैनिक मौजूद है। जो पूर्वी लद्दाख के फ्रंट और डेप्थ इलाकों में तैनात हैं। सूत्रों की मानें तो पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली जगहों से तनाव कम करने को लेकर चीन प्रतिबद्ध नहीं दिख रहा है।  

सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि चीन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है जिससे लगे कि वह सीमा पर तनाव कम करना चाहता है। इसके विपरीत युद्ध सामग्री जैसे एयर डिफेंस सिस्टम, लंबी दूरी की तोपें, बख्तरबंद गाड़ियों के साथ अग्रिम इलाकों में करीब पीएलए के 40 हजार सैनिक तैनात हैं। 

गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सूत्रों ने जानकारी दी है कि कॉर्प्स कमांडर्स के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत के बाद चीन ने अपने सैनिक कम करने की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं दिखाई है और न ही ग्राउंड पॉजिशन में किसी तरह का कोई बदलाव हुआ है।

सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि चीन फिंगर एरिया में ऑब्जर्वेशन पोस्ट बनाना चाहता है। इसी वजह से वह फिंगर 5 एरिया से अपने स्थाई सिरजिप के ठिकाने से नहीं जाने पर अड़ा हुआ है। चीन ने इसके अलावा हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट इलाके में भारी निर्माण किया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में ये दो जगह टकराव के प्वाइंट्स हैं।

भारतीय सेना भी LAC पर कर रही है तैयारी

भारतीय नौसेना के पोसाइडन 8-आई पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी करने के लिये पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है। वहीं, चीन के साथ सीमा विवाद के बीच उसके कुछ ‘मिग-29के’ लड़ाकू विमानों को उत्तरी सेक्टर में महत्वपूर्ण ठिकानों पर रखे जाने की भी संभावना है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारी भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सेना के तीनों अंगों में समन्वय बनाने की कोशिश के तहत उत्तरी क्षेत्र के कुछ वायुसेना अड्डों पर नौत करने पर विचार कर रहे हैं।

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

उन्होंने बताया कि नौसेना के लड़ाकू विमान शत्रु के इलाके में अंदर तक जा कर हमले करने की वायुसेना की कोशिशों और हवाई वर्चस्व क्षमताओं में सहायक होंगे। अभी नौसेना के करीब 40 मिग-29के विमानों का एक बेड़ा है और उनमें से कम से कम 18 देश के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं। वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के लगभग अपने सभी तरह के लड़ाकू विामनों को पूर्वी लद्दाख में और एलएसी के आसपास अन्य स्थानों पर तैनात किये हैं।

चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बाद यह कदम उठाया गया। वायुसेना के विमान पिछले कुछ हफ्तों से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय में गश्त कर रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिये वह अपनी तैयारी के तहत ऐसा कर रही है।

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