चीन को मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिए दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति : सेरिंग

By भाषा | Published: July 6, 2021 06:48 PM2021-07-06T18:48:25+5:302021-07-06T18:48:25+5:30

China should recognize that Dalai Lama key person to resolve Sino-Tibetan dispute: Tsering | चीन को मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिए दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति : सेरिंग

चीन को मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिए दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति : सेरिंग

धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) छह जुलाई तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा सेरिंग ने मंगलवार को कहा कि चीन को यह मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिये दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति हैं और उन्हें ''बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बत और चीन की तीर्थयात्रा'' पर आमंत्रित किया जाना चाहिए।

वह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 86वें जन्मदिन के मौके पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई अन्य नेताओं ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी है।

मई में राष्ट्रपति या केन्द्रीय तिब्बत प्रशासन (सीटीए) के सिकयोंग चुने गए सेरिंग ने कहा, ''चीन को यह मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिये परम पावन दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति हैं।''

उन्होंने चीन से ''पारस्परिक रूप से लाभकारी मध्यमार्गी दृष्टिकोण'' द्वारा पेश किए गए अवसर का उपयोग करते हुए एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए कहा, जिसके तहत तिब्बती और चीनी सौहार्दपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में रह सकें।

सेरिंग ने कहा, ''इसलिए, हम चीनी सरकार से परम पावन दलाई लामा को बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बत और चीन की तीर्थयात्रा पर आमंत्रित करने की अपील करते हैं।''

चौदहवें दलाई लामा ने 1959 में चीन से स्व निर्वासन के बाद भारत को अपना घर बना लिया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने दलाई लामा से फोन पर बात कर उन्हें 86वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।’’

चीनी सरकार के अधिकारी और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि के बीच 2010 के बाद से औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।

बीजिंग ने अतीत में दलाई लामा पर "अलगाववादी" गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था, हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने जोर देकर कहा है कि वह स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत "तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता" चाहते हैं।"

दलाई लामा का जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में आमदो के एक छोटे से गांव तकछेर में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम ल्हामो दोनडुब था। उन्हें 1989 में शांति का नोबेल सम्मान मिला था।

धर्मशाला में अपने आवास से डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए तिब्बती धार्मिक नेता दलाई लामा ने जन्मदिन पर दुनियाभर से बधाई देने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब से मैं शरणार्थी बना और भारत में शरण ली, तब से मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का भरपूर लाभ लिया। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अपने शेष जीवन में भी मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनजीर्वित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।’’

दलाई लामा ने कहा, ‘‘मैं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों जैसे ईमानदारी, करुणा और अहिंसा पर भारतीय विचारों की वास्तव में सराहना करता हूं जो धर्म पर आश्रित नहीं हैं।

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