J&K मामला: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर से चीन उठाना चाह रहा है कश्मीर मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 17, 2019 10:03 IST2019-12-17T10:01:00+5:302019-12-17T10:03:43+5:30
कुछ ही दिनों पहले भारत और चीन के बीच सीमा-वार्ता और भारत में नागरिकता कानून पास होने के बाद चीन मकी तरफ से भारत को लेकर यह प्रतिक्रिया देखने को मिल रहा है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर से चीन ने उठाया कश्मीर का मामला
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन ने एक बार फिर से जम्मू और कश्मीर का मामला उठाना चाह रहा है। चीन मंगलवार को एक फिर से UNSC में कश्मीर मामले पर चर्चा के लिए दूसरे देशों पर जोर दे रहा है।
कुछ ही दिनों पहले भारत और चीन के बीच सीमा-वार्ता और भारत में नागरिकता कानून पास होने के बाद चीन मकी तरफ से भारत को लेकर यह प्रतिक्रिया देखने को मिल रहा है।
टीओआई के मुताबिक, 16 अगस्त को चीन ने UNSC में इस मामले की चर्चा करने की कोशिश की है। यूएनएससी में भारत व इसके सहयोगी देशों ने इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा पर अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि चीन के विदेश मंत्री और राज्य के काउंसलर वांग यी इस सप्ताह एनएसए अजीत डोभाल के साथ सीमा वार्ता करने के लिए भारत आने वाले हैं। इससे ठीमक पहले UNSC में चीन द्वारा कश्मीर पर चर्चा करना वाकई अचंभित करने जैसा है।
चीन यह चर्चा एक ऐसे प्रावधान के तहत आयोजित करना चाहता है, जिसमें मतदान की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, इस मुद्दे को चर्चा के लिए चिह्नित करना शामिल है।
हांलाकि, भारत के सहयोगी देशों के विरोध के बाद यहां चरिचा की संभावना कम है। सूत्रों के अनुसार, भारत पहले ही अपने सहयोगियों के साथ एक गहन कूटनीतिक समझौता कर चुका है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पिछले सप्ताह UNSC के अध्यक्ष, अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट को एक पत्र लिखा था, जिसके बाद दिल्ली इस्लामाबाद के सवालों का जवाब देने की तैयारी कर रही थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने एलओसी के पांच क्षेत्रों से आंशिक रूप से बाड़ हटा दी है। कुरैशी ने सुझाव दिया कि भारत वहां अपना एक "झूठा झंडा" लगाकर किसी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।
पाकिस्तान ने UNSC को भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP) को मजबूत करने के लिए कहा, जो LOC पर नज़र रखता है। लेकिन, भारत की सहमती के बगैर यह संभव नहीं है।
भारत के अधिकारी वाशिंगटन पहुंच रहे हैं क्योंकि अमेरिकी राजदूत UNSC के अध्यक्ष हैं। भारत को फ्रांस के अलावा अमेरिका के भी सपोर्ट की उम्मीद है। जर्मनी और पोलैंड गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में भारत का समर्थन कर सकते हैं। हालाँकि, नागरिकता अधिनियम और उसके बाद के विरोध ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के छवि को नष्ट कर दिया है।