चीनी सेना ने पिछले महीने लद्दाख में घुसकर गाड़े थे टेंट, रोड बनाने का 'आश्वासन' लेकर लौटे

By सुरेश डुग्गर | Published: August 14, 2018 06:31 PM2018-08-14T18:31:39+5:302018-08-14T18:31:39+5:30

भारत और चीन के बीच 4000 किलोमीटर की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर करीब 23 विवादित और संवेदनशील इलाके में से दमचोक एक है।

China PLA troops enter Indian territory in Ladakh and pitch tents | चीनी सेना ने पिछले महीने लद्दाख में घुसकर गाड़े थे टेंट, रोड बनाने का 'आश्वासन' लेकर लौटे

चीनी सेना ने पिछले महीने लद्दाख में घुसकर गाड़े थे टेंट, रोड बनाने का 'आश्वासन' लेकर लौटे

श्रीनगर, 14 अगस्तः पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में बीसियों चीनी सैनिक लद्दाख के दमचोक इलाके में घुस आए थे और टेंट गाड़ लिए थे। बाद में ब्रिगेड लेवल की बातचीत के बाद वे वापस तो लौटे थे, लेकिन उन्हें यह ‘आश्वासन’ देना पड़ा था कि राज्य सरकार दमचोक में सड़क निर्माण का कार्य रोक देगी। फिलहाल दो टेंट अंतिम समाचार मिलने तक अभी भी वहीं गड़े हुए हैं।

सूत्रों के अनुसार, जुलाई में चीन की सेना पूर्वी लद्दाख स्थित दमचोक सेक्टर के करीब 400 मीटर अंदर घुस आई थी और यहां पांच टेंट लगा दिए थे। बताया जाता है कि दोनों देशों के बीच ब्रिगेडियर स्तर की वार्ता के बाद चेरदांन्ग-नेरलांग-नल्लान अर्था सीएनएन इलाके से तीन टेंट हटा लिए गए, लेकिन दो टेंट अभी भी लगे हैं। इनमें चीनी सेना-पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक रह रहे हैं।

भारत और चीन के बीच 4000 किलोमीटर की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर करीब 23 विवादित और संवेदनशील इलाके में से दमचोक एक है। यहां सीमा की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण चीन कई बार घुसपैठ कर चुका है। भारतीय सैनिकों यहां काफी मुस्तैद रहते हैं। लद्दाख में त्रिग हाइट्स, दुमशेले, चुमार, स्पांगुर दर्रा और पांगोंग सो जैसे और भी कई विवादित इलाके हैं। डोकलाम में जून 2016 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया, जब चीनी सैनिक वहां सड़क बनाने की कोशिश कर रहे थे।

यह सच है कि लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना की घुसपैठ कभी रूक नहीं पाई है। यह 1962 के चीनी हमले के बाद से आज भी जारी है। इतना जरूर है कि चीनी सेना की घुसपैठ तथा भारतीय गडरियों व किसानों को धमकाने की खबरें पहली बार 1993 में उस समय बाहर आई थीं जब लद्दाख में फेस्टिवल का आयोजन किया गया था और लोगों को चीन सीमा से सटे इलाकों तक जाने की अनुमति दी गई थी।

इससे पहले होने वाली घुसपैठ तथा अत्याचारों की घटनाओं को सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में ही दर्ज कर लिया जाता था। चीन सीमा पर होने वाली घुसपैठ व भारतीय सैनिकों व किसानों को धमकाने की खबरें कई कई महीनों के बाद लेह मुख्यालय में मिला करती थीं।

यह भी सच है कि पहली बार लेह फेस्टिवल में शामिल पत्रकारों को पैंगांग झील समेत चीन सीमा से सटे इलाकों का दौरा करने की अनुमति दी गई तो उसके बाद ही भारतीय सेना ने भी चीन की सीमा पर गश्त बढ़ाने का फैसला किया था वरना इन इलाकों में भारतीय सैनिक यदाकदा ही नजर आते थे पर चीनी सैनिक नियमित रूप से गश्त करते थे और आए दिन भारतीय इलाके पर अपना कब्जा दर्शाने की हरकतें किया करते थे।

लेह स्थित प्रशासनिक अधिकारी मानते हैं कि चीन अक्साई चीन से लगे इलाकों पर भी अपना कब्जा दर्शाते हुए वहां पर कब्जा जमाना चाहता है। इसी प्रकार लेह स्थित 14वीं कोर में तैनात कुछ सेनाधिकारियों के बकौल, चीन की बढ़ती हिम्मत का जवाब देने के लिए लद्दाख के मोर्चे पर फौज व तोपखानों की तैनाती में तेजी आई है, लेकिन कोशिश यही है कि मामला राजनीतिक स्तर व बातचीत से सुलझ जाए।

Web Title: China PLA troops enter Indian territory in Ladakh and pitch tents

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