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बच्चा अपहरण मामला: केरल सरकार ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग को जांच के आदेश दिए

By भाषा | Updated: October 22, 2021 18:20 IST

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तिरुवनंतपुरम, 22 अक्टूबर सत्तारूढ़ दल के एक नेता पर अपने नाती को अगवा करने के आरोप में मामला दर्ज होने के चलते शर्मिंदगी का सामना करने के बाद केरल सरकार ने शुक्रवार को घटना की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

इसके साथ ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि पार्टी चाहती है कि मां को उसका बच्चा मिल जाए। महिला एवं बाल कल्याण विभाग, अनुपमा एस चंद्रन द्वारा अपने पिता के विरुद्ध दर्ज कराई गई शिकायतों की जांच करेगा।

अनुपमा के पिता पी एस जयचंद्रन माकपा की स्थानीय समिति के सदस्य हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने नाती को अगवा किया और राज्य बाल कल्याण परिषद की ‘इलेक्ट्रिक क्रेडल’ में उसे छोड़ दिया। राज्य महिला तथा बाल कल्याण विभाग मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि विभाग की सचिव रानी जॉर्ज को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि बच्चे के नाना ने उसे वहां इलेक्ट्रिक क्रेडल में छोड़ दिया था।

जॉर्ज ने यहां संवाददाताओं से कहा, “परिषद द्वारा बच्चे को क्रेडल में लिए जाने के बाद सभी अनिवार्य प्रक्रिया पूरी की गई या नहीं, इसकी स्पष्ट जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। मैंने समग्र रिपोर्ट की मांग की है जिसके शीघ्र आने की उम्मीद है।”

उन्होंने कहा कि दस्तावेजों के अनुसार, परिषद ने यहां ‘अम्मथोत्तिल’ (इलेक्ट्रिक क्रेडल) में दो बच्चों को लिया था और महिला की शिकायत के आधार पर एक बच्चे की डीएनए जांच करवाई गई थी जो नकारात्मक आई थी। अनुपमा के पिता ने दावा किया था कि बच्चे का परित्याग उनकी बेटी की सहमति से किया गया था। इस पर सवाल पूछे जाने पर वीणा जॉर्ज ने कहा अगर कोई बच्चे को कानूनी तौर पर परिषद को सौंपना चाहता है तो उसकी मां को भी पैनल के सामने उपस्थित होना पड़ता है।

उन्होंने कहा, “इस मामले में मैं जो समझ पा रही हूं, ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसलिए सत्य की जांच के लिए परिषद के तत्कालीन कर्मचारियों समेत कई लोगो के बयान दर्ज करने होंगे।” अनुपमा का समर्थन करते हुए मंत्री ने कहा कि मां अपने बच्चे की मांग कर रही है और उसके लिए सबसे जरूरी यह है कि उसका बच्चा उसे वापस मिले।

इस बीच माकपा ने वरिष्ठ नेता और जिला सचिव अनावूर नागप्पन ने कहा कि इस मामले में पार्टी का हस्तक्षेप एक सीमा तक ही हो सकता है क्योंकि इसमें कानूनी जटिलाएं शामिल हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ महीने पहले अपना बच्चा वापस पाने के लिए महिला ने पार्टी नेतृत्व से संपर्क किया था।

नागप्पन ने संवाददाताओं से कहा कि महिला को बताया गया कि पार्टी के स्तर पर मुद्दे को नहीं सुलझाया जा सकता और उसे अपना बच्चा वापस पाने के लिए कानूनी तौर तरीके अपनाने होंगे। माकपा नेता ने कहा, “मां को उसका बच्चा मिलना चाहिए… पार्टी का यह रुख हमेशा से रहा है। मैंने अनुपमा से कहा कि यह मुद्दा पार्टी के स्तर पर नहीं सुलझाया जा सकता और इसलिए हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। मैंने उसे कानूनी सहायता देने का प्रस्ताव भी दिया।”

उन्होंने कहा कि 23 वर्षीय महिला कभी उनसे मिलने नहीं आई लेकिन उनके कार्यालय को एक पत्र भेजा था और बाद में फोन पर बात की थी। नेता ने कहा कि उन्होंने अनुपमा के पिता पी एस जयचंद्रन से भी बात की थी जो पार्टी की स्थानीय समिति के सदस्य हैं। नागप्पन ने कहा कि उन्होंने जयचंद्रन से कहा था कि वह महिला का बच्चा लौटा दें।

उन्होंने कहा, “लेकिन उन्होंने कहा था कि वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि बच्चे को सरकारी बाल कल्याण केंद्र को सौंप दिया गया है और उसे वापस लेने में कानूनी अड़चनें हैं।” पार्टी की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब माकपा से संबद्ध छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की पूर्व नेता अनुपमा ने कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं से शिकायत की फिर भी उन्हें अपना बच्चा वापस लेने के लिए किसी ने उनकी मदद नहीं की।

अनुपमा का आरोप है कि एक साल पहले जब उनका बच्चा पैदा हुआ तो उनके माता पिता ने बच्चा उनसे ले लिया और पुलिस में अप्रैल से कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद परिवार के लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज नहीं किया गया।

पेरूरक्कडा पुलिस का कहना है कि इस सप्ताह अनुपमा के माता पिता, बहन और पति तथा पिता के दो दोस्तों पर मामला दर्ज किया गया। पुलिस के अनुसार, देर इसलिए हो रही है क्योंकि वे कानूनी राय का इंतजार कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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