न्यायमूर्ति नरीमन को भावपूर्ण विदाई दी प्रधान न्यायाधीश ने

By भाषा | Updated: August 12, 2021 17:25 IST2021-08-12T17:25:33+5:302021-08-12T17:25:33+5:30

Chief Justice gave an emotional farewell to Justice Nariman | न्यायमूर्ति नरीमन को भावपूर्ण विदाई दी प्रधान न्यायाधीश ने

न्यायमूर्ति नरीमन को भावपूर्ण विदाई दी प्रधान न्यायाधीश ने

नयी दिल्ली, 12 अगस्त प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने उच्चतम न्यायालय की पीठ में सात साल से अधिक समय तक रहने के बाद न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें भावपूर्ण विदाई देते हुए बृहस्पतिवार को कहा, “मुझे लग रहा है जैसे मैं न्यायिक संस्था की रक्षा करने वाले एक शेर को खो रहा हूं।”

सात जुलाई, 2014 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश बने न्यायामूर्ति नरीमन ने 13,500 से ज्यादा मामलों का निपटान किया है और निजता को मौलिक अधिकार घोषित करना, गिरफ्तारी की शक्ति देने वाले आईटी अधिनियम के प्रावधान को निरस्त करना, सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटाना और सभी उम्र की महिलाओं को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देना समेत कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं।

दोपहर की रस्मी सुनवाई के लिए निवर्तमान न्यायमू्र्ति नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत के साथ पीठ में मौजूद प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “मुझे लगता है कि मैं इस संदर्भ को केवल एक पंक्ति के साथ समाप्त कर सकता हूं: भाई नरीमन की सेवानिवृत्ति के साथ, मुझे लगता है कि मैं न्यायिक संस्था की रक्षा करने वाले शेरों में से एक को खो रहा हूं; जो समकालीन न्यायिक व्यवस्था के मजबूत स्तंभों में से एक हैं। वह सिद्धांत पुरुष हैं और सही के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।”

सीजेआई ने कहा, “निजी तौर पर मैं ज्यादा भावुक हूं और शब्दों के जरिए अपने विचार बयां कर पाने में मुझे मुश्किल हो रही है।”

न्यायमूर्ति रमण उनकी प्रशंसा करते हुए अत्यंत भावुक हो गए और उन्होंने परंपरा से परे जाकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) अध्यक्ष विकास सिंह के अलावा सभी इच्छुक वकीलों को सेवानिवृत्त हो रहे अपने सहयोगी के सम्मान में कुछ शब्द कहने की अनुमति दी।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भाई न्यायमूर्ति नरीमन के प्रभाव को विस्तार से बताने की कोई आवश्यकता नहीं है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने लगभग 13,565 मामलों का निपटारा किया है। मैं बस इतना कह सकता हूं कि श्रेया सिंघल मामले (जिसमें आईटी अधिनियम की धारा 66ए द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार करने का पुलिस को प्रदत्त अधिकार निरस्त कर दिया गया था) जैसे उनके निर्णयों, पुट्टास्वामी और शायरा बानो मामले में उनके विचारों ने कानूनी न्यायशास्त्र पर एक स्थायी छाप छोड़ी है।”

सीजेआई ने कहा, “उनके निर्णय उनकी विद्वता, विचार की स्पष्टता और विद्वतापूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। यह संस्था निश्चित रूप से उनके ज्ञान और बुद्धिमता को याद करेगी।”

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति नरीमन जैसे दिग्गजों की सेवानिवृत्ति, जो "कानूनी कौशल के भंडार" हैं, एक व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या उम्र कार्यकाल और सेवानिवृत्ति के समय को तय करने के लिए उपयुक्त मानदंड है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “हमने अभी-अभी बार के हर वर्ग से जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी है। मैं आपको लंबे समय तक रोके नहीं रखना चाहता, इसलिए मैं शाम को उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के समारोह के लिए अपनी टिप्पणी बचाकर रखता हूं।”

सीजेआई ने न्यायमूर्ति नरीमन की उत्कृष्ट शैक्षणिक पृष्ठभूमि का उल्लेख किया और कहा कि उन्हें 1993 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया ने उस नियम में संशोधन करके 37 वर्ष की आयु में एक वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया था, जो किसी वकील को इस तरह का ओहदा देने के लिए न्यूनतम आयु 45 वर्ष निर्धारित करता था।

सीजेआई ने कहा कि न्यायमूर्ति नरीमन ने एक वकील के रूप में 35 वर्षों से अधिक समय तक बेहद सफल सेवाएं दीं और शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले वह पांचवें वकील हैं।

शुरुआत में, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की अनुपस्थिति में, सॉलीसिटर जनरल ने ऑनलाइन कार्यक्रम में अपना विदाई भाषण दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह, पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे, वकील रंजीत कुमार, पी एस नरसिम्हा, आर बसंत, सिद्धार्थ दवे, के वी विश्वनाथन, ऐश्वर्या भाटी, अर्द्धेंदुमॉली प्रसाद, शिवाजी जाधव और जोसेफ एरिस्टोटल ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।

13 अगस्त, 1956 को जन्मे न्यायमूर्ति नरीमन 1993 में वरिष्ठ वकील और 27 जुलाई, 2011 को भारत के सॉलीसिटर जनरल बने। सात जुलाई 2014 को उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

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Web Title: Chief Justice gave an emotional farewell to Justice Nariman

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