चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें न्यायिक प्रक्रिया को और भी लोकतांत्रिक बनाना है ताकि सभी को समान रूप से न्याय सुलभ हो सके"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 6, 2022 09:15 PM2022-12-06T21:15:32+5:302022-12-06T21:19:33+5:30

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक ब्लॉक का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमें न्यायिक प्रणालि को इस तरह से बनाना है कि इसमें सभी की सार्थक भागीदारी हो और इसके जरिये सर्व साधारण को समान न्यायिक अवसर प्रदान किया जा सके।

Chief Justice DY Chandrachud said, "We have to further democratize the judicial process so that justice is equally accessible to all" | चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें न्यायिक प्रक्रिया को और भी लोकतांत्रिक बनाना है ताकि सभी को समान रूप से न्याय सुलभ हो सके"

फाइल फोटो

Highlightsप्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को और लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दियान्याय की अवधारणा लोकतांत्रिक, समावेशी हो ताकि सभी को समान रूप से न्याय सुलभ हो सकेचीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात दिल्ली हाईकोर्ट के नवनिर्मित ब्लॉक के उद्घाटन के अवसर पर कही

दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को और लोकतांत्रिक बनाने पर जोर देते हुए कहा कि हमें एक ऐसी न्यायिक प्रकिया को अपनाने की जरूरत है, जिसमें सभी को समान रूप से न्याय उपलब्ध हो सके। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली हाईकोर्ट के एस ब्लाक के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, "हमें कोर्ट के सिस्टम को इस तरह से बनाना है, जिसमें न्याय की अवधारणा लोकतांत्रिक, समावेशी और सभी को समान रूप से सुलभ होने की दिशा में काम करे।"

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें न्यायिक प्रणालि को इस तरह से बनाना है कि इसमें सभी की सार्थक भागीदारी हो और इसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि से ताल्लूक रखने वाले लोगों को समायोजित करके सर्व साधारण के लिए समान न्यायिक अवसर प्रदान किया जा सके।

चीफ जस्टिस ने देश की राजधानी दिल्ली के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि मेरा हमेशा से मानता रहा है कि हम देश की राजधानी में सबसे अच्छा बुनियादी ढांचा चाहते हैं, लेकिन भारत का असल विस्तार राजधानी से बाहर है, जहां अधिकांश जनसंख्या निवास करती है। इसलिए हमें उन जगहों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा न्यायिक प्रणालि को और लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने वाली टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते कुछ समय से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच उच्च न्यायिक सेवाओं में जजों की नियुक्ति के लिए प्रयोग में लाये जाने वाली कॉलेजियम सिस्टम पर काफी विवाद चल रहा है।

बीते कुछ समय से केंद्रीय क़ानून मंत्री किरण रिजिजु द्वारा कॉलेजियम व्यवस्था की लगातार कड़ी आलोचना की जा रही है। वहीं इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने भी खुलकर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार कॉलेजियम सिस्टम से भेजे गए संभावित जजों के नामों पर फ़ैसला नहीं लेकर उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है।

दरअसल एक समाचार चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजु ने कहा था, "मैं कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना नहीं करना चाहता। मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि इसमें खामियां हैं और जवाबदेही का अभाव है। नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शिता नहीं है। अगर किसी को लगता है कि सरकार फाइलों को रोक रही है तो फाइलें न भेजी जाएं सरकार के पास"

कानून मंत्री के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट के ओर से भी टिप्पणी की गई और कोर्ट की ओर से कहा गया कि जब एक बार नामों को आगे बढ़ा दिया गया है तो कानून के हिसाब से प्रक्रिया यहीं खत्म होती है। आप उन्हें रोककर नहीं रख सकते। यह स्वीकार्य नहीं है। कई नामों पर फ़ैसला डेढ़ साल से भी ज़्यादा समय से लंबित है। आप ये कैसे कह सकते हैं कि आप नामों पर फ़ैसला नहीं ले सकते? हम आपको ये बता रहे हैं कि नामों को इस तरह लंबित रखकर आप उन हदों को पार कर रहे हैं।

Web Title: Chief Justice DY Chandrachud said, "We have to further democratize the judicial process so that justice is equally accessible to all"

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