छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा, 'पत्नी का पति के कार्यालय में जाना, अभद्र भाषा के साथ न्यूसेंस क्रिएट करना क्रूरता है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 29, 2022 09:51 PM2022-08-29T21:51:09+5:302022-08-29T21:56:44+5:30

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिला ने पति पर साथ में काम करने वाली महिला सहकर्मी के साथ अवैध संबंध का तथ्यहीन आरोप लगाया, जिसे कोर्ट सीधे तौर पर क्रूरता मनता है।

Chhattisgarh High Court said, 'Wife going to husband's office, creating nuisance with abusive language is cruelty' | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा, 'पत्नी का पति के कार्यालय में जाना, अभद्र भाषा के साथ न्यूसेंस क्रिएट करना क्रूरता है'

फाइल फोटो

Highlightsछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी पति के दफ्तर में जाकर न्यूसेंस क्रिएट करे तो वह क्रूरता है यदि महिला पति पर महिला सहकर्मी के साथ अवैध संबंध का तथ्यहीन आरोप लगाए तो वह भी क्रूरता हैहाईकोर्ट ने इन्ही दलीलों के आधार पर रायपुर की फैमिली कोर्ट द्वारा दिये गये तलाक के फैसले को सही ठहराया

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी द्वारा पति के कार्यालय में जाना और वहां पर उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए न्यूसेंस क्रिएट करना क्रूरता की श्रेणी में आता है और एक स्वस्थ्य समाज में इस बात की कभी इजाजत नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पत्नी के खिलाफ रायपुर की फैमिली कोर्ट द्वारा पीड़ित व्यक्ति के पक्ष में दिये तलाक के फैसले को बरकरार रखा।

हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला द्वारा फैमिली कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जो एक सरकारी अधिकारी है। महिला ने पति के विभाग से संबंधित मंत्री से उसके ट्रांसफर की मांग की गई। और महिला ने पति पर साथ में काम करने वाली महिला सहकर्मी के साथ कथिततौर पर अवैध संबंध का तथ्यहीन आरोप लगाया, जिसे कोर्ट सीधे तौर पर क्रूरता मानता है।

इसके साथ ही दोनों जजों की बेंच ने पत्नी के खिलाफ रायपुर के फैमिली कोर्ट द्वारा परेशान पति को तलाक की मंजूरी देने के फैसले को सही माना। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने महिला द्वारा सार्वजनिक रूप से पति के चरित्र को लेकर की गई टिप्पणी को बेहद आपत्तिजनक माना है।

जस्टिस भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन की बेंच ने मामले में 18 अगस्त को फैसला सुनाते हुए कहा, "पत्नी के खिलाफ पेश किये सबूतों को देखने से पता चलता है कि पत्नी अपने को छोटे-छोटे मुद्दों पर गाली देती थी, जिसकी पति ने कई बार पुलिस में शिकायत की। हालांकि गैर-संज्ञेय होने के कारण पुलिस ने भी पति की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया।"

इसके साथ ही बेंच ने कहा कि पीड़ित पुरुष और उसकी पत्नी की बहन के द्वारा दिये गये बयानों से भी पता चलता है कि महिला ने पति पर अन्य महिला के अवैध संबंधों का आरोप लगाया और पति को परेशान करने की मंशा से उसने पति के तबादले के लिए मुख्यमंत्री तक से शिकायत की है।

कोर्ट इन सभी तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए महिला द्वारा रायपुर की फैमिली कोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करती है। जानकारी के मुताबिक यह मामला धमतरी जिले का है। जहां के रहने वाले 32 साल के एक शख्स ने रायपुर निवासी 34 साल की विधवा से साल 2010 में शादी की थी।

शादी के बाद पत्नी धन संपदा को पाने के लिए पति का शोषण करना शुरू कर दिया। पत्नी के अत्याचारों से खौफजदा पति ने रायपुर फैमिली कोर्ट में कई आधार पर पत्नी को तलाक देने की मांग की। पति ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पत्नी उसके साथ रोजाना दुर्व्यवहार करती है और उसे अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने से रोकती है।

रायपुर की फैमिली कोर्ट ने दिसंबर 2019 में रिकॉर्ड पर मौजूद सभी तथ्यों और सबूतों को देखने के बाद पति के तलाक की याचिका को अपनी मंजूरी दे दी। जिसके बाद पत्नी फैमली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Chhattisgarh High Court said, 'Wife going to husband's office, creating nuisance with abusive language is cruelty'

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