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छत्तीसगढ़: सुकमा में आठ नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, दो गिरफ्तार

By भाषा | Updated: September 4, 2019 00:45 IST

अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास योजना के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर तथा खोखली माओवादी विचारधारा और उनके शोषण, अत्याचार, भेदभाव एवं हिंसा से तंग आकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है।

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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मंगलवार को चार इनामी नक्सलियों समेत आठ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। सुकमा जिले के पुलिस अधिकारियों ने आज भाषा को दूरभाष पर बताया कि जिले में आज आठ नक्सलियों वेट्टी पाली :25 वर्ष:, कोमराम सम्मी, पोडियम टिंकू :45 वर्ष:, रवा भीमा, पोडियम केशा :21 वर्ष:, सोयम मुत्ता :32 वर्ष:, उईका बुधरा :20 वर्ष: और मुचाकी रामा :26 वर्ष: ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

इनमें दो महिला नक्सली भी शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वेट्टी पाली पर आठ लाख रुपये का इनाम था। इसके साथ ही कोमराम सम्मी के सिर पर भी सिर पर आठ लाख रुपये का इनाम था। अधिकारियों ने बताया कि पोडियम टिंकू ‘मिलिशिया कमाण्ड इन चीफ’ था तथा उसके सिर पर एक लाख रुपये का इनाम था। रवा भीमा मलांगिर एलजीएस का सदस्य था और उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सली पोडियम वर्ष 2006 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। वह वर्ष 2007 में उरपलमेटा पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की घटना, पिड़मेल गांव के करीब पुलिस-नक्सली मुठभेड़, वर्ष 2014 में कसालपाड़ हमले की घटना तथा वर्ष 2017 में कोत्ताचेरू हमले की घटना में शामिल रहा है। इन घटनाओं में कई पुलिस जवान शहीद हो गए थे और पुलिस के हथियार लूट लिए गए थे।

उन्होंने बताया कि नक्सली रवा भीमा वर्ष 2018 से मलांगिर एलजीएस में कार्यरत था। वहीं, नक्सली पोडियम केशा वर्ष 2013 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। वह नक्सलियों के लिए सब्जी की खेती करता था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पित नक्सली सोयम मुत्ता नक्सली संगठन में वर्ष 2005 में भर्ती हुआ था।

नक्सली संगठन में भर्ती होने के बाद से कोंटा क्षेत्र के बोधराजपदर गांव में नक्सली स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत रहा। इस स्कूल में क्षेत्र के छोटे बच्चों को नक्सली गतिविधि संबंधी शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने बताया कि बोधराजपदर में संचालित यह स्कूल वर्तमान में एतराजपाड़ में संचालित है जिसमें लगभग 25-30 बच्चे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास योजना के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर तथा खोखली माओवादी विचारधारा और उनके शोषण, अत्याचार, भेदभाव एवं हिंसा से तंग आकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की राहत और पुनर्वास योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी।

 

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