Chandrayaan-2: बाकी है उम्मीद, लैंडर 'विक्रम' से दोबारा संपर्क की कोशिश में जुटे वैज्ञानिक

By स्वाति सिंह | Published: September 7, 2019 10:16 PM2019-09-07T22:16:45+5:302019-09-07T22:16:45+5:30

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है और लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद इससे चंद्र विज्ञान में योगदान जारी रहेगा। 

Chandrayaan: Hope remains, scientist trying to contact lander 'Vikram' again says Isro Chief K.Sivan | Chandrayaan-2: बाकी है उम्मीद, लैंडर 'विक्रम' से दोबारा संपर्क की कोशिश में जुटे वैज्ञानिक

अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है

Highlightsलैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया। 

चंद्रयान-2 के लंदर विक्रम का चांद की सतह को छूने से ठीक पहले संपर्क टूटने के बाद भलेही निराशा हाथ लगी हो पर अभी भी उम्मीद कायम है। 

दरअसल, इसरो के चीफ के सिवान ने डीडी न्यूज़ को एक इंटरव्यू में कहा कि लैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। सिवन ने साफ कहा कि यह कोई झटका नहीं है, हम अगले 14 दिनों तक 'विक्रम' से संपर्क साधने की पूरी कोशिश करेंगे। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है और लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद इससे चंद्र विज्ञान में योगदान जारी रहेगा। 

अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन से ऑर्बिटर का सात साल लंबा जीवन सुनिश्चित है, जबकि पूर्व में इसके जीवनकाल को एक वर्ष रखने की योजना थी। चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया। 

इसरो ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया, “विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया। इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं।”

 इसमें कहा गया कि सफलता का पैमाना मिशन के हर चरण के लिये परिभाषित था और अब तक मिशन के 90 से 95 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिये गए हैं और ये चंद्र विज्ञान के क्षेत्र में योगदान जारी रखेंगे भले ही लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया है। 

‘विक्रम’ अगर ऐतिहासिक लैंडिंग में सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाता। ऑर्बिटर के चंद्रमा के चारों और अपनी तय कक्षा में स्थापित होने का जिक्र करते हुए इसरो ने कहा, “यह अपने आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से ध्रुवीय क्षेत्र में खनिजों और जल अणुओं के विकास और मानचित्रण के जरिये चंद्रमा को लेकर हमारी समझ को और समृद्ध करेगा।” 

उसने कहा, “ऑर्बिटर का कैमरा अब तक किसी भी चंद्र मिशन में इस्तेमाल हुआ सबसे ज्यादा विभेदन (रेजलूशन) वाला कैमरा (0.3एम) है और इससे उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें मिलेंगी जो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिये बेहद उपयोगी होंगी।” इसरो ने कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से इसका जीवनकाल भी पूर्व नियोजित एक वर्ष के बजाए लगभग सात वर्ष सुनिश्चित है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ठीक है और चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है।  

Web Title: Chandrayaan: Hope remains, scientist trying to contact lander 'Vikram' again says Isro Chief K.Sivan

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