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Chandrayaan-2 landing Streaming: यहां देखें चंद्रयान-2 की लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट वीडियो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 7, 2019 01:07 IST

चांद पर शनिवार (7 सितंबर) तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के भारत के प्रयास के दौरान लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ सभी के आकर्षण का केंद्र होंगे। चांद के अध्ययन के लिए भेजा गया चंद्रयान-2 देश में विकसित प्रौद्योगिकी से परिपूर्ण है। इसके 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर का नाम ‘विक्रम’ है और यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है।

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ठळक मुद्देइसरो के चेयरमैन सिवन ने कहा है कि विक्रम के चांद पर उतरने के दौरान का 15 मिनट काफी मुश्किल समय होगा क्योंकि हम पहली बार इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे होंगे।इसरो के चेयरमैन सिवन ने बताया चांद पर विक्रम 1.53 AM पर उतरेगा।

आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें चांद पर है। आज (सात सितम्बर) की रात 1.53 बजे चांद पर विक्रम लैंडिंग करेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी भी इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिये इसरो के हेडक्वॉर्टर में रहेंगे। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर के करीब 70 छात्र-छात्राओं के साथ बैठकर चंद्रयान की लैंडिंग देखेंगे। लेकिन आप भी घर बैठक  चंद्रयान की लैंडिंग लाइव देख सकते हैं। इसरो अपने ऑफिशल यूट्यूब चैनल पर चंद्रयान-2 की लाइव लैंडिंग दिखाएगा। यूट्यूब चैनल 7 सितंबर की तारीख में रात के एक बजकर 15 मिनट पर लाइव रहेगा। दूरदर्शन चैनल पर रात के एक बजे से लाइव टेलिकास्ट रहेगा। इसके अलावा दूरदर्शन के ऑफिशल यूट्यूब चैनल पर भी लैंडिंग का लाइव प्रसारण हो रहा है। 

इसरो के ऑफिशियल ट्विटर लाइव लिंक- 

इसरो के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल का लिंक जहां चंद्रयान की लैंडिंग लाइव देख सकते हैं-

दूरदर्शन यूट्यूब चैनल का लिंक जहां चंद्रयान की लैंडिंग लाइव देख सकते हैं- 

इसरो के चेयरमैन सिवन ने कहा है कि विक्रम के चांद पर उतरने के दौरान का 15 मिनट काफी मुश्किल समय होगा क्योंकि हम पहली बार इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे होंगे। 

लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा। रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान’ है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता’ से है। यह ‘लैंडिंग’ स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा।

इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम करेंगे। लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में दो गड्ढों-‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच उतरेगा।

टॅग्स :चंद्रयानइसरो
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