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Chandrayaan-2: अब 'विक्रम लैंडर' को खोजने की उम्मीद हो रही खत्म, ISRO जल्द जारी करेगा रिपोर्ट 

By रामदीप मिश्रा | Updated: September 18, 2019 09:29 IST

Chandrayaan-2: इसरो ने कहा कि आधिकारिक तौर पर कोई भी जानकारी साझा किए जाने का अपडेट नहीं था। आगे कोई भी अपडेट या इमेज हमारी वेबसाइट पर साझा की जाएगी।

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ठळक मुद्दे 'Chandrayaan-2' (चंद्रयान-2) के 'विक्रम लैंडर' के साथ संपर्क टूटने के बाद 11 दिन बीतने जा रहे हैं और करीब तीन दिन और बचे हैं, ऐसे में अब ISRO ने करीब-करीब उम्मीद छोड़ दी है।एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है। सात सितंबर की घटना के बाद से लगभग 11 दिन निकलने वाले हैं व अब इसरो के पास मात्र तीन दिन शेष बचे हैं।

देश के दूसरे चंद्र अभियान 'Chandrayaan-2' (चंद्रयान-2) के 'विक्रम लैंडर' के साथ संपर्क टूटने के बाद 11 दिन बीतने जा रहे हैं। तीन दिन और बचे हैं, ऐसे में अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लैंडर को खोजने की करीब-करीब उम्मीद छोड़ दी है। दरअसल, एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है। सात सितंबर की घटना के बाद से लगभग 11 दिन निकलने वाले हैं व अब इसरो के पास मात्र तीन दिन शेष बचे हैं।

अब इसरो ने विक्रम के बारे में जानकारी दिए बिना ट्वीट करते हुए कहा है कि हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया। हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे। हमें प्रेरित करने के लिये शुक्रिया। 

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, इसरो ने कहा कि आधिकारिक तौर पर कोई भी जानकारी साझा किए जाने का अपडेट नहीं था। आगे कोई भी अपडेट या इमेज हमारी वेबसाइट पर साझा की जाएगी। ट्वीट का मतलब उन सभी को धन्यवाद देना था जिन्होंने इसरो को प्रोत्साहित किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, बताया गया है कि आंतरिक-इसरो समिति ने कहना है कि सॉफ्ट लैंडिंग करने में विफलता के संभावित कारणों और  इसके निष्कर्ष "बहुत जल्द" प्रस्तुत किए जाने की संभावना है। संभवतः अगले कुछ दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जा सकता है। इस संबंध में समिति ने कई बार बैठक की और लगभग अपने निष्कर्षों को अंतिम रूप दिया। इस रिपोर्ट को कुछ दिनों में सार्वजनिक किए जाने की उम्मीद है।

बता दें कि सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। यदि यह 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल रहता तो इसके भीतर से रोवर बाहर निकलता और चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देता। लैंडर को चांद की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' के लिए डिजाइन किया गया था। 

लैंडर विक्रम की असफलता के बाद से इसरो लगातार लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास कर रहा था, लेकिन उसे सफलता हाथ लगते दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि, 'चंद्रयान-2' के ऑर्बिटर ने ‘हार्ड लैंडिंग’ के कारण टेढ़े हुए लैंडर का पता लगा लिया था और इसकी ‘थर्मल इमेज’ भेजी थी। 

टॅग्स :चंद्रयानभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
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