भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को चंद्रयान 2 की तस्वीर शेयर की है। इस पिक्चर को चंद्रयान 2 के IIRS (इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर) ने ली है।
IIRS को संकीर्ण और सन्निहित स्पेक्ट्रल चैनलों में चंद्र सतह से परावर्तित सूर्य के प्रकाश को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि IIRS को चंद्रमा पर सूर्य की परिवर्तित होने वाली किरणें, चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है।
इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी किया था। इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
‘चंद्रयान-2’ काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था। इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा। कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है।
इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रमा पर रात के समय अत्यधिक ठंड में लैंडर दुरुस्त स्थिति में रह सकता है, अधिकारी ने कहा, ‘‘सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है।’’