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जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, बाहरी भी डाल पाएंगे वोट, निवास प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं

By शिवेंद्र राय | Updated: August 18, 2022 10:06 IST

पूरे जम्मू कश्मीर में मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश कुमार ने कहा है कि राज्य में रह रहे बाहरी लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराकर मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया 15 सितम्बर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगी।

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ठळक मुद्देजम्मू कश्मीर में अब विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई हैइस साल 25 लाख नए मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैंकिराए पर रहने वाले भी मतदान कर सकते हैं

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ी घोषणा की है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश कुमार ने कहा है कि राज्य में रह रहे बाहरी लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराकर मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक मतदान करने लिए गैर-कश्मीरी लोगों को निवास प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। हृदेश कुमार ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बल के जवान भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।

हृदेश कुमार ने कहा कि राज्य में किराये पर रह रहे लोगों के पास भी मतदान का अधिकार है। उन्होंने कहा,  “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू कश्मीर में कितने समय से रह रहा है। गैर स्थानीय जम्मू कश्मीर में रह रहा है या नहीं इस पर अंतिम फैसला चुनाव पंजीकरण कार्यालय करेगा। यहां किराए पर रहने वाले भी मतदान कर सकते हैं।”

जम्मू-कश्मीर में लंबे समय बाद इस साल विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश कुमार के मुताबिक इस साल 25 लाख नए मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची में विशेष संशोधन हो रहा है। राज्य में लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं इसलिए नए मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है।

बाहरी और गैर कश्मीरी लोगों को मतदान का अधिकार देने के मुद्दे पर राजनीति भी गर्म हो गई है। पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने केंद्र इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा,  "पहले जम्मू-कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने का भारत सरकार का निर्णय और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देना, यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के संकेत हैं। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर सख्ती से शासन करना जारी रखना है।"

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा,  "क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के वास्तविक वोटरों को लेकर इतनी असुरक्षा महसूस कर रहे हैं कि उसे चुनाव जीतने के लिए अस्थायी वोटरों को आयात करने की जरूरत है?"

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया 15 सितम्बर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगी। फिलहाल राज्य में सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरचुनाव आयोगमहबूबा मुफ़्तीउमर अब्दुल्लाजम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंसBJP
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