सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने समान नागरिक संहिता पर दाखिल किया पहला हलफनामा, कहा- देश की एकता में बाधा डालते हैं विभिन्न कानून
By मनाली रस्तोगी | Published: October 18, 2022 11:19 AM2022-10-18T11:19:00+5:302022-10-18T11:21:47+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने पहले समान नागरिक संहिता पर याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से व्यापक प्रतिक्रिया मांगी थी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लेकर अपना पहला हलफनामा दाखिल किया। साथ ही सरकार ने इसके समर्थन में कई दलीलें भी पेश कीं। अपने हलफनामे में सरकार ने तर्क दिया कि विभिन्न कानून राष्ट्रीय एकता में बाधा डालते हैं और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर्सनल लॉ को विभाजित करता है।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, हलफनामा अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिकाओं के जवाब में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार को तलाक, गोद लेने, संरक्षकता, उत्तराधिकार, विरासत, रखरखाव, शादी की उम्र और गुजारा भत्ता के लिए धर्म और लिंग-तटस्थ समान कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले समान नागरिक संहिता पर याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र से व्यापक प्रतिक्रिया मांगी थी। फिलहाल, इस समय पर्सनल लॉ कानूनों का समूह है जो लोगों पर उनके विश्वास और धर्म के आधार पर लागू होता है। अधिकांश धर्मों में पर्सनल लॉ का एक अलग सेट होता है और वे अपने संबंधित शास्त्रों द्वारा शासित होते हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने की व्यवहार्यता पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। मामले को 22वें कानून पैनल के समक्ष रखा जाएगा। समान नागरिक संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है। यह धर्म, लिंग या जाति के बावजूद व्यक्तिगत कानून पेश करने का प्रस्ताव करता है। यह विवाह, तलाक, गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करता है।