अमित शाह की 'खुशखबरी' के बाद बोले CM भगवंत मान- चंडीगढ़ पर दावे के लिए लड़ाई लड़ूंगा

By विशाल कुमार | Published: March 28, 2022 02:15 PM2022-03-28T14:15:09+5:302022-03-28T14:22:52+5:30

अब तक, केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारी पंजाब सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत आते थे। लेकिन रविवार को शाह ने कहा कि मैं चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को यह खुशखबरी देना चाहता हूं। यह निर्णय लिया गया है कि आज से ही उनकी सेवाओं को केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के अनुरूप कर दिया जाएगा।

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अमित शाह की 'खुशखबरी' के बाद बोले CM भगवंत मान- चंडीगढ़ पर दावे के लिए लड़ाई लड़ूंगा

Highlightsअब तक, केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारी पंजाब सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत आते थे। पंजाब के अन्य दलों के नेता भी केंद्र सरकार के इस फैसला का जोरदार विरोध कर रहे हैं।

चंडीगढ़: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन के तहत सभी कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियम लागू करने की घोषणा के एक दिन बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार चंडीगढ़ पर अपने हक के लिए कड़ा संघर्ष करेगी।

मान ने ट्वीट कर लिखा कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से तैनात कर रही है। यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के खिलाफ जाता है। पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा।

अब तक, केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारी पंजाब सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत आते थे। लेकिन रविवार को शाह ने कहा कि मैं चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को यह खुशखबरी देना चाहता हूं। यह निर्णय लिया गया है कि आज से ही उनकी सेवाओं को केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के अनुरूप कर दिया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि इससे बहुत लाभ होगा, जैसे सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 करना। शिक्षा विभाग वाले लोगों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़कर 65 हो जाएगी। साथ ही, महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव को मौजूदा एक वर्ष के बजाय दो वर्ष तक बढ़ाया जाएगा।

पंजाब के अन्य दलों के नेता भी केंद्र सरकार के इस फैसला का जोरदार विरोध कर रहे हैं।

अकाली नेता दलजीत चीमा ने फैसले की आलोचना करते हुए लिखा कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार के नियम लागू करने का गृह मंत्रालय का फैसला पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावना का उल्लंघन है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसका अर्थ है पंजाब को हमेशा के लिए पूंजी के अधिकार से वंचित करना। बीबीएमबी में बदलाव के बाद पंजाब के अधिकारों के लिए यह एक और बड़ा झटका है।

कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने इसे तानाशाही वाला फैसला बताते हुए राज्य के राज्यसभा सांसदों से इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह पंजाब के अधिकारों का अतिक्रमण है।

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