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सेंट्रल विस्टा : केंद्रीय मंत्री पुरी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, गलत विमर्श गढ़ा गया

By भाषा | Updated: June 1, 2021 01:24 IST

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नयी दिल्ली, 31 मई विपक्ष को निशाने पर लेते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना को लेकर एक गलत विमर्श गढ़ा जा रहा है । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह “व्यर्थ परियोजना” नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है।

इस परियोजना के विरुद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली चिट्ठी लिखने वाले 60 पूर्व नौकरशाहों पर निशाना साधते हुए पुरी ने कहा, ‘‘ वे पढ़े-लिखे बेवकूफ नहीं, बल्कि देश के लिए बदनामी हैं।’’

संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्र के कुछ हिस्सों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व नौकरशाहों ने आरोप लगाया कि सरकार नया संसद भवन ‘अंधविश्वास’ के चलते बना रही है।

पुरी का ही मंत्रालय सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है।

उन्होंने कहा कि 2012 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के विशेष कार्य अधिकारी ने नए संसद भवन के लिए केंद्रीय शहरी विकास सचिव को पत्र लिखा था और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी नए भवन की पैरवी की थी।

पुरी ने कहा कि 2012 में कहा गया था कि नए संसद भवन की जरूरत है लेकिन 2021 में ये 60 पूर्व नौकरशाह कह रहे हैं कि सरकार ‘अंधविश्वास के चलते’ नया भवन बना रही है।

उन्होंने कहा कि नए प्रधानमंत्री आवास के लिए किसी डिजाइन को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और सिर्फ दो परियोजनाओं- संसद भवन व सेंट्रल विस्टा एवेन्यू – का काम करीब 1300 करोड़ रुपये की लागत से फिलहाल चल रहा है।

विपक्ष पर निशाना साधते हुए केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि केंद्रीय परियोजना को लेकर झूठा विमर्श गढ़ा जा रहा था और किसी भी विरासत इमारत को “छुआ” नहीं जाएगा।

संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा, “यह एक व्यर्थ परियोजना नहीं है और इस परियोजना की आवश्यकता है।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सेंट्रल विस्टा परियोजना को जारी रखने की मंजूरी देते हुए कहा कि यह “अहम और आवश्यक” राष्ट्रीय परियोजना है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान परियोजना रोके जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं थी।

अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया।

परियोजना के तहत एक नए संसद भवन और एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालयों के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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