नयी दिल्ली, 20 जून कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लोगों के प्रति उसकी जिम्मेदारी एवं संतुलन की भावना को पूरी तरह भूल चुकी है। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है और केंद्र तथा राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, '' सत्ता के नशे में चूर नरेंद्र मोदी सरकार लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी एवं संतुलन की भावना को पूरी तरह भूल चुकी है। मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय को शपथ पत्र देकर कहा है कि केंद्र के पास कोरोना महामारी से मरने वाले व्यक्तियों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने के लिये पैसा नहीं है।''
उन्होंने आरोप लगाया, '' क्या मोदी सरकार जरा भी दर्द और परशानियों को महसूस कर सकती है? कोरोना पीड़ितों को मुआवज़ा देने को पैसा नहीं है, पर कोरोना के दौरान सेंट्रल विस्टा और प्रधानमंत्री के लिए एक भव्य महल बनवाने के लिए ₹20,000 करोड़ रुपये हैं। पेट्रोल-डीज़ल की लूट से साल 2020-21 में इकट्ठा किये गए ₹3,89,662 करोड़ रुपये कहां गये?''
शीर्ष अदालत में एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून 2005 की धारा 12 के तहत ‘‘न्यूनतम मानक राहत’’ के तौर पर स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना बढ़ाने, प्रत्येक नागरिक को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तेज कदम उठाए गए हैं। हलफनामे में कहा गया, ‘‘कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा देना राज्य सरकारों के वित्तीय बूते के बाहर है। महामारी के कारण राजस्व में कटौती और स्वास्थ्य संबंधी खर्च बढ़ने से राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति पहले से दबाव में है।’’
इससे पहले, 11 जून को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजे के लिए याचिकाओं में किए गए अनुरोध ‘‘सही’’ हैं और सरकार इस पर विचार कर रही है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।