जनगणना 2021: भारत में पहली बार अलग से होगी ओबीसी की गिनती
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 1, 2018 09:48 AM2018-09-01T09:48:37+5:302018-09-01T09:56:34+5:30
मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिए जाने के करीब 3 दशक बाद, 2021 की जनगणना में पहली बार ओबीसी की गिनती होगी।
मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिए जाने के करीब 3 दशक बाद, 2021 की जनगणना में पहली बार अलग से ओबीसी की गिनती होगी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार (31 अगस्त) को इसका ऐलान किया। खबर के अनुसार पहली बार 2021 में अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। सरकार के द्वारा किया जाने वाला ये ऐलान 2019 के चुनावों का लुभावना वादा माना जा सकता है।
गृहमंत्री की ओर से कहा गया है कि 2021 में पेश होने वाली देश की जनगणना का आंकड़ा तैयार करने की समीक्षा की है। इसके बाद ही ये फैसला लिया गया है। आजादी के बाद पहली बार ओबीसी से संबंधित आंकड़े भी इकट्ठा करने का विचार किया गया है। 2006 में देश की आबादी का नमूना सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन की एक शाखा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने सर्वे रिपोर्ट की घोषणा की थी।
इसमें बताया था कि देश में ओबीसी आबादी कुल आबादी की करीब 41 फीसदी है। पेश की जाने वाली रिपोर्ट 2024 तक तैयार कर ली जाएगी। केंद्र के इस फैसले से राजनैतिक पार्टियों की वह मांग खत्म हो सकती है कि अंग्रेजों के द्वारा 87 साल पहले की गई जाति आधारित जनगणना के डेटा को अपडेट किया जाए। 2011 में इससे पहले जनगणना करवाई गई थी। 4, 893.60 करोड़ रुपए के खर्च पर पूरी हुई इस जनगणना को डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया था । ये इसलिए नहीं की गई थी क्योंकि हमारे देश में महापंजीयक ने उसमें कुछ निश्चित गलतियां पकड़ी थीं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने 2011 में सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना कराई थी और मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने तीन जुलाई 2015 में इसके नतीजों का ऐलान किया था। इसके बाद 28 जुलाई 2015 को सरकार ने कहा था कि जाति जनगणना के संबंध में कुल 8.19 करोड़ गलतियां पाई गई हैं जिनमें से 6.73 करोड़ गलतियां सुधार दी गई। हालांकि 1.45 करोड़ गलतियों में अभी सुधार नहीं किया गया है। अब 2021 की जनगणना का हर किसी को इस बार इंतजार रहेगा।