बिहारः तेजस्वी यादव बोले-आठ सालों में भाजपा के सांसद या विधायक के यहां छापेमारी हुई, विपक्ष पर ही क्यों?, सीबीआई छापेमारी पर सियासी घमासान
By एस पी सिन्हा | Published: August 31, 2022 03:53 PM2022-08-31T15:53:17+5:302022-08-31T15:54:17+5:30
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि सीबीआई की छापेमारी से आपत्ति नहीं है बल्कि इनके पॉलिटिकल कैरेक्टर से हमारा विरोध है। भाजपा के इशारे पर ये एजेंसियां काम कर रही हैं हम केवल उसका विरोध कर रहे हैं।
पटनाःबिहार में सीबीआई के द्वारा की गई छापेमारी को लेकर सियासी घमासान जारी है। सीबीआई जांच के लिए सरकार की अनुमति लेने के नियम लागू करने की बात सामने आ रही है। वहीं, राज्य में सीबीआई की एंट्री बंद किए जाने की अटकलों के बीच अब उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपनी सफाई पेश की है।
उन्होंने कहा है कि हमें सीबीआई की छापेमारी से आपत्ति नहीं है बल्कि इनके पॉलिटिकल कैरेक्टर से हमारा विरोध है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह भाजपा के इशारे पर ये एजेंसियां काम कर रही हैं हम केवल उसका विरोध कर रहे हैं। वहीं, तेजस्वी ने यह बात भी कही है कि पिछले आठ सालों में भाजपा के किसी भी सांसद या विधायक के यहां छापेमारी हुई।
एजेन्सी के अधिकारियों से हमारा न कभी विरोध था और ना है। हम जानते है कि ये आदेश का अनुपालन कर रहे है। लेकिन CBI का इस्तेमाल राजनीतिक instrument की तरह जो हो रहा है उसका हम विरोध करते रहेंगे। हमारे यहाँ संविधान को मानने वाली न्यायप्रिय समाजवादी सरकार है जहां हर कोई सुरक्षित है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 31, 2022
उन्होंने जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार से पूछा है कि सीबीआई की छापेमारी विपक्ष पर ही क्यों? भाजपा के नेताओं पर आज तक कोई छापेमारी क्यों नहीं हुई? उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां केवल व केवल विपक्ष शासित राज्य और वहां के नेताओं पर छापे मारकर अपने राजनीतिक मालिकों को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं।
तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीटर अकाउंट के माध्यम से कहा है, 'केंद्र सरकार ने बीते 8 वर्ष में जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रतिशोध का एक उपकरण बना दिया है। 8 साल पूर्व देशवासियों ने इनकी इंटेग्रिटी व कार्यप्रणाली पर इस तरह के सवाल कभी नहीं उठाए थे।
उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा है, 'बीते 8 वर्षों में विपक्ष के कई नेताओं पर इसी आईटी/ईडी/सीबीआई के माध्यम से छापे पड़े। ढेर सारे आरोप तय हुए, गोदी मीडिया के माध्यम से चरित्रहनन हुआ। लेकिन जैसे ही उन कथित भ्रष्ट विपक्षी नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, वो पवित्रता का प्रमाण पत्र पा गए। कोई मंत्री बन गया तो कोई मुख्यमंत्री बन गया।