न्यायाधीश की मौत के मामले में सीबीआई ने कोई नया तथ्य नहीं खोजा, झारखंड उच्च न्यायालय नाखुश

By भाषा | Published: September 9, 2021 09:45 PM2021-09-09T21:45:15+5:302021-09-09T21:45:15+5:30

CBI finds no new facts in judge's death case, Jharkhand High Court unhappy | न्यायाधीश की मौत के मामले में सीबीआई ने कोई नया तथ्य नहीं खोजा, झारखंड उच्च न्यायालय नाखुश

न्यायाधीश की मौत के मामले में सीबीआई ने कोई नया तथ्य नहीं खोजा, झारखंड उच्च न्यायालय नाखुश

रांची, नौ सितंबर धनबाद में न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच में कोई नया तथ्य नहीं खोज पाने का उल्लेख करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने जांच की धीमी गति को लेकर बृहस्पतिवार को नाखुशी जाहिर की।

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने फोरंसिक साइंसेज लैबोरेटरी (फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) में कर्मियों की कमी पर भी नाखुशी जाहिर की तथा राज्य के गृह सचिव और प्रयोगशाला के निदेशक को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया।

पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जांच में ऐसा कुछ भी खुलासा नहीं हुआ है जो पहले से ज्ञात नहीं है। यह याचिका, 28 जुलाई को धनबाद शहर में एक ऑटो रिक्शा (तिपहिया वाहन) की टक्कर के बाद 49 वर्षीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की मौत की जांच की निगरानी करने के लिए दायर की गई है।

पीठ ने कहा कि घटना की वीडियो फुटेज से यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है कि ऑटो रिक्शा चालक सड़क पर अपनी लेन से बाहर हो गया और न्यायाधीश को वाहन से टक्कर मार दी।

अदालत ने कहा कि यहां तक कि यदि चालक शराब के नशे में था, तो भी फुटेज से उसका मकसद साफ जाहिर होता है।

उल्लेखनीय है कि राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) शुरूआत में मामले की जांच कर रही थी। राज्य सरकार ने बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया , जिसने चार अगस्त को अपनी जांच शुरू की थी।

अदालत ने बृहस्पतिवार को गृह सचिव और एफएसएल के निदेशक को सुनवाई की अगली तारीख पर ऑनलाइन माध्यम से उसके समक्ष उपस्थित होने के लिए भी तलब किया।

यह आदेश अदालत को झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा यह सूचित करने के बाद आया कि उसने एफएसएल में रिक्त पदों को भरने के लिए इस साल मार्च में विज्ञापन जारी किया था। हालांकि, विज्ञापन रद्द कर दिया गया और कोई नया विज्ञापन नहीं जारी किया गया।

पीठ ने इस मुद्दे पर नाखुशी जाहिर की और कहा कि सरकार इस अदालत को अंधेरे में रखना चाहती है।

उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा मामले की जांच की धीमी गति से प्रगति को लेकर दो सितंबर को भी नाखुशी जाहिर की थी।

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