#CBIvsCBI: CJI रंजन गोगोई का फैसला- आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जाँच करे CVC, दो हफ्ते में दे रिपोर्ट
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 26, 2018 10:52 AM2018-10-26T10:52:51+5:302018-10-26T12:27:32+5:30
CBI Director Alok Verma Supreme Court hearing live Update, Coverage, Highlights, Live blog:सरकार ने सीबीआई के टॉप अधिकारियों के बीच आंतरिक घमासान के बाद दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था और नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा केस में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक के निगरानी में दो हफ्ते में जाँच पूरी करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के किसी तरह का नीतिगत फैसला लेने पर भी रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि नागेश्वर राव केवल रूटीन कामकाज देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट 12 नवंबर को मामले की दोबारा सुनवाई करेगा।
आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि पिछले कुछ दिनों में "सीवीसी और भारत सरकार द्वारा पारित किये आदेशों को कोई संवैधानिक आधार नहीं है।" सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील फाली एस नरीमन जिरह करते हुए सीबीआई निदेशक के दो साल के निश्चित कार्यकाल के प्रावधान का जिक्र किया है। नरीमन ने इस दौरान विनीत नारायण केस का उदाहरण दिया है। आलोक वर्मा की तरफ से नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट एक्ट लागू होना चाहिए। 1993 में हवाला फंडिंग मामले में विनीत नारायण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। ये केस विनीत नारायण बनाम भारत सरकार के फैसले के नाम से जाना गया। इसी के फैसले के बाद सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल के लिए निश्चित किया गया था।
सीबीआई निदशेक आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच घूसखोरी के परस्पार आरोप-प्रत्यारोप से शुरू हुआ विवाद में नरेंद्र मोदी सरकार ने दोनों अफ़सरों को छुट्टी पर भेज दिया है। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्मा का दावा है कि सरकार उन्हें छुट्टी पर भेजने की अधिकारी नहीं है। आलोक वर्मा के आदेश पर सीबीआई ने राकेश अस्थाना के खिलाफ घूसखोरी का मामला दर्ज किया है। अस्थाना पर मीट कारोबारी मोईन कुरैशी एवं अन्य आरोपियों से घूस लेने के आरोप है। अस्थाना ने भी अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे की कानूनी वैधता को अदालत में चुनौती दी है।
वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के बाद मोदी सरकार ने नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा के अलावा कॉमन कॉज नामक एनजीओ ने भी याचिका दायर की थी। आलोक वर्मा ने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि एजेंसी के प्रमुख और विशेष निदेशक को छुट्टी पर भेजने के अलावा संवेदनशील मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों को भी बदल दिया गया है। आलोक वर्मा की याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका पर सुनवाई की जाएगी जिसे कॉमज कॉज एनजीओ ने दायर किया है। इस मामले से जुड़ी सभी बड़ी अपडेट के लिए पढ़ते रहिए Lokmatnews.in
CBI vs CBI News Updates:-
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी), सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को अदालत में उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजी है।
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जाँच पूरा करने के लिए 10 दिन कम हैं जिसके बाद सीजेआई ने जाँच के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया।
- सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव मामले की 12 नवंबर को अगली सुनवाई तक कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकते। राव केवल रूटीन कामकाज संभालेंगे।
Supreme Court issues notice to CVC, the Centre and CBI Special Director Rakesh Asthana on their pleas; Next date November 12. pic.twitter.com/6Aok0uBtwx
— ANI (@ANI) October 26, 2018
- जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।
- सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा का पक्ष वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन रखेंगे।
- मुकुल रोहतगी ने कहा है कि यह रोजाना के केस जैसा ही है। ये इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना आप समझ रहे हैं।
CJI Gogoi in his order states," inquiry in respect of the allegation made in the note of the Secretariat as regards the present CBI Dir Alok Verma shall be completed by the CVC within a period of 2 weeks from today.The inquiry will be conducted by the retired SC judge AK Patnaik" pic.twitter.com/hgzllKJIRz
— ANI (@ANI) October 26, 2018
जनहित याचिका में उठाए गए ये सवाल
एनजीओ कॉमन कॉज ने गुरुवार को एक जनहित याचिका दायर की जिसमें सीबाआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी भेजे जाने और नागेश्वर राव के अंतरिम निदेशक बनाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए गए थे। इस याचिका में एनजीओ ने 23 अक्टूबर को जारी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। साथ ही यह भी निवेदन किया गया कि राव को अंतरिम चार्ज सौंपे जाने के कैबिनेट कमेटी के आदेश को भी निरस्त किया जाए।
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि राकेश अस्थाना के खिलाफ कार्रवाई करने की वजह से आलोक वर्मा को शिकार बनाया गया। इसमें कहा गया कि सरकार का यह फैसला देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की स्वायत्तता को समाप्त कर देगा।
याचिका में यह भी मांग की गई कि सीबीआई के विदेश निदेशक राकेश अस्थाना को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते एजेंसी से हटाया जाए। एनजीओ ने यह भी कहा कि एक एसआईटी का गठन किया जाए तो सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की जांच करे।