गठबंधन होते ही अखिलेश के खिलाफ मामला दर्ज, आईएएस चंद्रकला पर भी सीबीआई छापे
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 6, 2019 01:53 IST2019-01-06T01:53:53+5:302019-01-06T01:53:53+5:30
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलानेवाली चंद्रकला के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर हैं. वे अखिलेश की करीबी भी मानी जाती हैं.

फाइल फोटो
2019 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के गठबंधन के संकेत मिलने के साथ ही आज सीबीआई ने हमीरपुर अवैध रेत खनन मामले में छापे मारे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. जिन लोगों के ठिकानों पर छापे मारे गए, उनमें 2008 की बैच की आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला भी हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलानेवाली चंद्रकला के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर हैं.
वे अखिलेश की करीबी भी मानी जाती हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को मामले की जांच के आदेश दिए थे, पर उसके करीब ढाई साल बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की. सीबीआई ने हमीरपुर में 2012-16 के दौरान अवैध रेत खनन केस में 11 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में शनिवार को 14 स्थानों पर छापे मारे. इनमें चंद्रकला के अलावा सपा के विधायक रमेश मिश्रा और बसपा नेता संजय दीक्षित भी हैं.
दीक्षित ने 2017 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था, पर हार गए थे. दो जनवरी 2019 को दर्ज किए गए अवैध खनन के मामलों से संबद्ध इस प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है, ''संबंधित अवधि में तत्कालीन खनन मंत्री की भूमिका की भी जांच हो सकती है. 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव के पास 2012-2013 के बीच खनन विभाग का अतिरिक्त प्रभार था. इससे उनकी भूमिका जांच के दायरे में है. उनके बाद 2013 में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने थे.''
चंद्रकला के लखनऊ में योजना भवन के पास स्थित सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट 101 में शनिवार सुबह सीबीआई ने छापा मारा. चंद्रकला फ्लैट में नहीं थीं, पर सीबीआई ने महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिये. इसके अलावा लखनऊ, नोएडा, दिल्ली, कानपुर, जालौन, शामली, कौशाम्बी, फतेहपुर, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर, हमीरपुर, देवरिया में बसपा-सपा नेताओं और ठेकेदारों के घर पर भी छापे मारे गए. क्या हैं बी. चंद्रकला पर आरोप? अखिलेश सरकार में 2008 बैच की आईएएस बी.चंद्रकला की पहली पोस्टिंग हमीरपुर में कलेक्टर के पद पर की गई थी. आरोप हैं कि 2012 में उन्होंने सपा नेताओं को नियमों की अनदेखी कर खनन के 60 पट्टे जारी किए, जबकि ई-टेंडर के जरिये स्वीकृति देने का प्रावधान था.