कनाडा ने आतंकवाद पर रिपोर्ट से सिख चरमपंथ का संदर्भ हटाया, अमरिंदर ने जताया विरोध
By भाषा | Published: April 14, 2019 10:14 PM2019-04-14T22:14:29+5:302019-04-14T22:14:29+5:30
टोरंटो के सीबीसी न्यूज ने खबर दी है कि आतंकवाद पर 2018 की रिपोर्ट को पिछले साल दिसंबर में जारी किया गया था और उस वक्त सिख समुदाय ने तीखा विरोध किया था क्योंकि रिपोर्ट में पहली बार कनाडा में शीर्ष चरमपंथी खतरों में से एक के तौर पर सिख चरमपंथ को भी शामिल किया गया था।
चंडीगढ़, 14 अप्रैल: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू नीत कनाडा सरकार द्वारा आतंकवाद पर 2018 की रिपोर्ट में से सिख चरमपंथ के संदर्भ को हटाने का रविवार को विरोध किया। कनाडा सरकार ने पहले देश को शीर्ष पांच आतंकवादी खतरों में से एक के तौर पर सिख चरमपंथ का उल्लेख किया था। टोरंटो के सीबीसी न्यूज ने खबर दी है कि आतंकवाद पर 2018 की रिपोर्ट को पिछले साल दिसंबर में जारी किया गया था और उस वक्त सिख समुदाय ने तीखा विरोध किया था क्योंकि रिपोर्ट में पहली बार कनाडा में शीर्ष चरमपंथी खतरों में से एक के तौर पर सिख चरमपंथ को भी शामिल किया गया था।
सिंह ने ट्रूडू प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि कनाडा की सरकार ने घरेलू राजनीतिक दबाव के आगे घुटने टेक दिए। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है। सिंह ने कहा कि सत्तारूढ़ कैनेडियन लिबरल पार्टी द्वारा ‘बिना सोचे समझे’ लिए गए फैसले का मकसद चुनावी साल में अपने राजनीतिक हितों को बचाना है। इसका लंबे अरसे में भारत-कनाडा रिश्तों पर गहरा असर पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ ट्रूडो घरेलू दबाव के चलते बिना सोचे-विचारे फैसला लेकर आग से खेल रहे हैं।’’ सिंह ने कहा कि दुनिया चरमपंथ के किसी भी रूप को बढ़ावा देना बर्दाश्त नहीं कर सकती है, लेकिन ट्रूडो सरकार अपने बिना सोच-विचार कर किए गए फैसले से ऐसा प्रभावी तरीके से कर रही है। सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले साल ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान उन्हें सबूत दिए थे कि उनके देश का इस्तेमाल मित्र राष्ट्र के खिलाफ पृथक खालिस्तानी विचारधारा को फैलाने के लिए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने रविवार को एक बयान में कहा कि ट्रूडो को इस बात की जानकारी दी गई थी कि खालिस्तानी लोग कनाडा से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को आर्थिक मदद दे रहे हैं। सिंह ने खतरे की नई रिपोर्ट में से खालिस्तान और खालिस्तानी संगठनों के विभिन्न संदर्भों को हटाने को शांतिप्रिय वैश्विक समुदाय की नजरों में एक अक्षम्य कृत्य बताया है।