अदालत परिसर में नहीं दी जा सकती धार्मिक गतिविधि की इजाजत: न्यायाधीश
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 26, 2018 05:55 AM2018-05-26T05:55:50+5:302018-05-26T05:59:34+5:30
वडोदरा के जिला न्यायाधीश जे सी दोशी ने स्थानीय बार एसोसिएशन से कहा है कि वह अदालत परिसर में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति ना दें। उन्होंने कहा कि यह ‘‘धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों ’’ का उल्लंघन करता है।
वडोदरा, 26 मई। वडोदरा के जिला न्यायाधीश जे सी दोशी ने स्थानीय बार एसोसिएशन से कहा है कि वह अदालत परिसर में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति ना दें। उन्होंने कहा कि यह ‘‘धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों ’’ का उल्लंघन करता है।
दोशी ने बड़ौदा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नलिन पटेल को लिखे एक पत्र में यह कहा। उन्होंने यह तब कहा है जब अदालत की नव निर्मित इमारत में दो कमरों को मुस्लिमों वकीलों द्वारा नमाज पढ़ने के लिए खोला गया।
उन्होंने पत्र में लिखा , ‘‘चूंकि न्यायपालिका भारत का प्रतिनिधित्व करती है तो किसी एक धर्म की प्रतीकविद्या को दर्शाना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। ’’ पटेल ने मीडिया से यह पत्र साझा किया।
बता दें कि इससे पहले हरियाणा के स्वास्थ्य और खेल मंत्री अनिल विज ने नमाज को लेकर कहा था कि ओकैजनली अगर किसी को नमाज पढ़ना है तो पढ़ सकता है ये धर्म की आजादी है, लेकिन किसी जगह को कब्जा करने की नियत से नमाज पढ़ना गलत है। उसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि, मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़ने को लेकर ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ हिंदुत्ववादी गुटों ने पिछले दिनों गुरुग्राम में खुली जगह पर नमाज पढ़ने का विरोध किया था। इन गुटों का आरोप था कि जमीन पर कब्जा करने के लिए कुछ लोग खुली जगह पर नमाज पढ़ते हैं। इन गुटों ने मांग की थी कि खुली जगहों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगायी जाए।