कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति से कथित तौर पर बिना हिसाब की नकदी बरामद होने के मामले में भाजपा नेता मुकुल रॉय के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वांरट बुधवार को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने कोलकाता पुलिस की याचिका पर शहर की अदालत की ओर से जारी वारंट को रद्द कर दिया। पुलिस पिछले साल बड़ा बाजार इलाके में एक व्यक्ति से कथित रूप से 19 लाख रुपये की बरामदगी के सिलसिले में रॉय से पूछताछ करना चाहती थी। उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि कथित तौर पर नकदी बरामदगी के मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई जारी रहेगी।
कोलकाता के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने बड़ा बाजार पुलिस थाने के अनुरोध पर 29 जुलाई को मुकुल रॉय के खिलाफ वारंट जारी किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि रॉय जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। रॉय की ओर से उच्च न्यायालय में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बिकास भट्टाचार्य ने कहा कि पुलिस पहले ही उनके मुवक्किल से दिल्ली स्थित आवास में पूछताछ कर चुकी है। ऐसे में वारंट के प्रभावी रहने का कोई औचित्य नहीं है। लोक अभियोजक शास्वत मुखर्जी ने भी कहा कि रॉय से पहले ही पूछताछ हो चुकी है। इसलिए गिरफ्तारी वारंट का उद्देश्य पूरा हो चुका है, लेकिन धन की बरामदगी को लेकर निचली अदालत में कार्यवाही जारी रहनी चाहिये।
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को रॉय को 10 दिनों के लिए दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा दी थी। अदालत ने यह फैसला रॉय की याचिका पर सुनाया था जिसमें उन्होंने कोलकाता पुलिस की ओर से पूछताछ के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने रॉय को जांच में सहयोग करने और पूछताछ के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।