CAA के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन देते समय धर्म का सबूत देना होगा

By भाषा | Published: January 27, 2020 08:31 PM2020-01-27T20:31:04+5:302020-01-27T20:31:04+5:30

हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन या पारसी आवेदकों को इस बात का भी सबूत देना होगा कि वे 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आये थे। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सीएए के तहत जो भारतीय नागरिकता चाहेंगे, उन्हें अपने धर्म का सबूत देना होगा और सीएए के तहत जारी होने वाली नियमावली में उसका उल्लेख किया जाएगा।

CAA requires non-Muslim refugees to provide proof of religion when applying for citizenship | CAA के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन देते समय धर्म का सबूत देना होगा

पिछले साल संसद से इस कानून के पारित होने के बाद से राज्य में प्रदर्शन हो रहा है।

Highlightsउन्होंने कुछ अन्य असम विशिष्ट प्रावधान भी सीएए नियमावली में शामिल करने का अनुरोध किया था।यह कदम असम में सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के मद्देनजर उठाया गया है।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन देते समय अपने धर्म का सबूत पेश करना होगा।

अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन या पारसी आवेदकों को इस बात का भी सबूत देना होगा कि वे 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आये थे। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सीएए के तहत जो भारतीय नागरिकता चाहेंगे, उन्हें अपने धर्म का सबूत देना होगा और सीएए के तहत जारी होने वाली नियमावली में उसका उल्लेख किया जाएगा।

सीएए के अनुसार धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं समझा जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार सीएए के तहत असम में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन भरने को इच्छुक लोगों को महज तीन महीने की सापेक्षिक अवधि प्रदान कर सकती है। कुछ असम विशिष्ट प्रावधान सीएए के क्रियान्वयन के लिए जारी होने वाली नियमावली में शामिल किये जाने की संभावना है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वित्त मंत्री हिमंत विश्व सरमा ने एक पखवाड़ा पहले सीएए के तहत आवेदन के लिए सीमित समय रखने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कुछ अन्य असम विशिष्ट प्रावधान भी सीएए नियमावली में शामिल करने का अनुरोध किया था। यह कदम असम में सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के मद्देनजर उठाया गया है। पिछले साल संसद से इस कानून के पारित होने के बाद से राज्य में प्रदर्शन हो रहा है।

असम के मूल लोगों में यह डर फैलता जा रहा है कि इस कानून से उनके हितों को राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचेगा। असम संधि उन अवैध प्रवासियों की पहचान और प्रत्यर्पण की व्यवस्था देती है जो 1971 के बाद देश में आ गये और राज्य में रह रहे हैं। उनका धर्म भले भी जो हो। असम में सीएए विरोधी कहते हैं कि यह कानून असम संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

Web Title: CAA requires non-Muslim refugees to provide proof of religion when applying for citizenship

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