पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को मंगलवार को एक बार फिर छात्रों के बहिष्कार का सामना करना पड़ा। दरअसल, जगदीप धनखड़ एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने कोलकाता स्थित जादवपुर यूनिवर्सिटी गए थे। यहां छात्रों ने उनकी गाड़ी का घेराव किया और यूनिवर्सिटी के अंदर जाने से रोका। यही नहीं छात्रों ने धनखड़ को काले झंडे भी दिखाए और उन्हें गाड़ी से उतरने तक नहीं दिया।
इस घटना को लेकर राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा 'जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र अपनी डिग्री ले सकें और अपने मेहनत के फल का आनंद ले सकें और समाज में योगदान कर सकें। लेकिन जिस तरह से यूनिवर्सिटी का रास्ता रोका गया है, वह निंदनीय है। ये एक चिंताजनक स्थिति है। जो लोग रास्ता रोक रहे हैं, वो सिर्फ पचास ही हैं।' उन्होंने आगे लिखा 'सिस्टम को बंधक बनाया जा रहा है और इससे जुड़े लोग पूरी तरह से बेखबर हैं। ये एक पतन है जो अनचाहे परिणाम दे सकता है, यहां कानून का राज नहीं दिख रहा है। '
सोमवार को भी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को जाधवपुर विश्वविद्यालय में छात्रों के एक समूह द्वारा काले झंडे दिखाए गए। धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के तौर पर वहां एक बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यहां छात्रों ने उनकी कार को घेर लिया और “वापस जाओ” के नारे लगाए। शोरगुल के बीच धनखड़ करीब 45 मिनट तक वहां फंसे रहे जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें वहां से निकालकर बैठक स्थल तक पहुंचाया। धनखड़ ने एक ट्वीट में कहा था, “जाधवपुर विश्वविद्यालय के नौवें कोर्ट की 10वीं बैठक की कुलाधिपति के तौर पर अध्यक्षता करूंगा जो 23 दिसंबर 2019 को दोपहर बाद दो बजे विश्वविद्यालय के कमेटी रूम संख्या 1 में निर्धारित है।”
विश्वविद्यालय कोर्ट एक शीर्ष प्राधिकार है जिसके पास शैक्षणिक और कार्यकारी परिषद के फैसलों की समीक्षा का अधिकार होता है। विश्वविद्यालय ने इससे पहले विशेष दीक्षांत समारोह को रद्द कर दिया था जिसमें धनखड़ को कुछ प्रमुख लोगों को डि। लिट और डी।एससी की उपाधि देनी थी। यह 24 दिसंबर को निर्धारित था।
वहीं, जाधवपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि वह इसके बजाए एक साधारण समारोह आयोजित करेगा जहां सिर्फ छात्रों को उपाधि और प्रमाण-पत्र दिये जाएंगे। वामपंथी छात्र संघों का कहना है कि राज्यपाल “संस्थान की स्वायत्तता में अवांछित हस्तक्षेप” कर रहे थे। बता दें कि यह पहली बार नहीं, इससे पहले जब धनखड़ विधानसभा पहुंचे थे वहां पर भी उन्हें जाने से रोका गया था।